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देश के मुख्य न्यायाधीश ने देशभर के बार काउंसिल और बार एसोसिएशनों में महिलाओं की कमी पर नाखुशी जताई

नई दिल्ली
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देशभर के बार काउंसिल और बार एसोसिएशनों में महिलाओं की कमी पर नाखुशी जताई है और वकील संघों में कम महिला प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाए हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों का प्रतिनिधित्व करने वाले निकायों में महिलाओं के चुनाव के लिए अनुकूल परिस्थितियों की कमी है। इस वजह से वकीलों के संघ यानी बार एसोसिएशन्स और बार काउंसिल 'ओल्ड ब्वॉय्ज क्लब' बने हुए हैं।

हालांकि, सीजेआई ने कहा कि हाल के कई वर्षों में महिला वकीलों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है, बावजूद इसके निर्वाचित बार काउंसिल और बार एसोसिएशन में उनकी भागीदारी अब तक नहीं बढ़ सकी है। CJI बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के तीन दिवसीय शताब्दी समारोह में बोल रहे थे।

अपने संबोधन में सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, "भले ही महिला वकीलों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन यह गति और प्रवृत्ति हमारे निर्वाचित बार एसोसिएशनों या बार काउंसिलों की संरचना में क्यों नहीं दिखाई देती हैं। जब चुनाव लड़ने में कोई औपचारिक बाधा नहीं है और महिला वकीलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है,तो यह सवाल लाजिमी है कि अधिक से अधिक संख्या में महिलाएं बार एसोसिएशन या बार काउंसिल का चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं और क्यों नहीं जीत पा रही हैं?"

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI ने बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा लंबित मामलों और अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों पर टिप्पणी करने की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बार समेत न्यायपालिकाओं में भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाए जाने की जरूरत पर बल दिया। मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर विशेष चिंता जाहिर की कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया में एक भी महिला पदाधिकारी नहीं थी। इसी तरह, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में भी केवल एक ही महिला सदस्य थी।

उन्होंने 2021 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य बार काउंसिल में निर्वाचित प्रतिनिधियों में से केवल 2.04 फीसदी ही महिलाएं हैं। सीजेआई ने महिला वकीलों से भी बार एसोसिएशनों में अपनी स्थिति मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने महिलाओं से आह्वान किया, "आगे आएं। चुनाव लड़ें और जिम्मेदारी वाले पदों पर काबिज हों।"

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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