छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

नई शिक्षा नीति में सूचना तकनीक और अनुसंधान सहयोग का महत्व-सुशील चंद्र तिवारी

विधार्थी पढ़ाई के साथ ही कौशल अनुसंधान तथा सूचना तकनीक में दक्ष हो सकेंगे

भिलाई-छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा सत्र 2024-25 से प्रदेश के सभी राजकीय और निजी विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा से उच्च शैक्षणिक संस्थानों में इसके लिए विचार मंथन प्रारंभ हो चुका है। कार्यशालाओं,बैठकों के साथ लगातार नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर सार्थक विचार विमर्श हो रहा है। शासन की मंशा के अनुरूप प्रदेश में इसका क्रियान्वयन सुव्यवस्थित एवम प्रभावी ढंग से हो इसकी तैयारी विश्वविद्यालयों द्वारा की जा रही है।

श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई के डायरेक्टर विकास,एवम नई शिक्षा नीति हेतु गठित टास्क फोर्स के सदस्य सुशील चंद्र तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सूचना तकनीक और अनुसंधान सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू होने अध्ययन अध्यापन के विषयों में विस्तार होगा।इसमें सूचना तकनीक का प्रयोग करके संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी के टूल्स जैसे अकादेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट,डिजिलॉकर, स्वयम पोर्टल आदि का प्रयोग किया जा सकेगा।इसी तरह सभी महाविद्यालय में विभिन्न प्रकार के कोर्सेस संचालित होंगे जिसमे सूचना तकनीक का उपयोग कर विषयवस्तु को डिजिटाइज किया जा सकेगा। विधार्थी भी डिजिटल डिवाइस का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।

विभाग के उच्च कार्यालय से लेकर विश्वविद्यालय एवम महाविद्यालय तक कागज रहित सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था संचालित की जा सकेगी।डॉक्टर तिवारी ने बताया की अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा इसके लिए सभी महाविद्यालय में सुगमता के लिए अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। अनुसंधान परियोजनाओं पर स्थानीय उधोगो के साथ सहयोग लेकर उसे मूर्तरूप दिया जा सकेगा।जिससे नवोन्मेषी उत्पाद और सेवाएं सामने आवेंगी जिनका लाभ उद्योगों को भी होगा।अनुसंधान सहयोग के माध्यम से स्थानीय संसाधन,तकनीकी विशेषज्ञता और नेटवर्क तक पहुंच आसान होगी,इसके साथ ही संस्थान में इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जा सकेगी।

नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों,शिक्षकों और स्थानीय लोगों के बीच उधमिता के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा कर नागरिकों के। जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा सकेंगे।अनुसंधान योग्यता विकसित करने के लिए कौशल तथा इंटर्नशिप को अनिवार्य श्रेणी में रखना होगा।गुणवत्तापूर्ण इंटर्नशिप सुनिश्चित करने प्रशिक्षक एवम पर्यवेक्षक नियुक्त करना होगा।अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन होगा जिससे हमारे विधार्थी पढ़ाई के साथ ही कौशल अनुसंधान तथा सूचना तकनीक में दक्ष हो सकेंगे।

Dinesh Purwar

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button