RO.No. 13028/ 149
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर डीपफेक और मिसइंफॉर्मेशन से निपटने सरकार ने की बड़ी playning

नई दिल्ली
 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़ी चुनौती डीपफेक और मिस इंफॉर्मेशन से निपटने की है। बीते दिनों सरकार की एक के बाद एक आई अडवाइजरी के बाद सोशल मीडिया कंपनियों ने इसे लेकर कमर कस ली है। यूट्यूब की ओर से सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया कि पिछले साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक प्लैटफॉर्म से 2.25 मिलियन विडियो हटाई गई हैं। ये वो कंटेंट था जोकि प्लैटफॉर्म के कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन कर रहा था। यानी ये भड़काने, नफरत, हेट स्पीच या हिंसा से जुड़े कंटेंट की कैटिगरी में आता है। प्लैटफॉर्म का कहना है कि संवेदनशील कैटिगरी के कंटेंट के लिए एक नए टूल का सहारा लिया जा रहा है, जिसके जरिए यूजर्स को इस बारे में जानकारी मिल सकेगी कि कोई कंटेट AI जनरेटेड विडियो है या नहीं। हेल्थ, न्यूज, इलेक्शन या फिर फाइनेंस से जुड़े विडियो पर ये लेबल प्रमुखता से दिखाई देगा।

आईटी मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस
बता दें कि मार्च में ही आईटी मंत्रालय की ओर से एक अडवाइजरी जारी की गई थी, जिसके मुताबिक सोशल मीडिया कंपनी से कहा गया था कि वो AI की मदद से बने विडियो को लेकर ये जानकारी दें कि इन्हें बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली गई है। इसके अलावा प्लैटफॉर्म मतदाताओं को चुनाव और उसकी प्रक्रिया के बारे में और जानकारी देने की दिशा में भी काम कर रहा है, यानी कि वोटिंग से जुड़े विडियो सर्च करने पर हाउ टू वोट या हाउ टू रजिस्टर टू वोट जैसे टॉपिक सामने दिखेंगे। इसके साथ-साथ इंफॉर्मेशन पैनल के जरिए उन टॉपिक्स के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिनको लेकर फेंक इंफॉर्मेशन की संभावना ज्यादा होती है। प्लैटफॉर्म का दावा है कि मिस इंफॉर्मेशन और फेक न्यूज से निपटने के लिए गाइडलाइंस विडियो, कमेंट्स, लिंक्स, लाइव स्ट्रीम और थंबनेल तक पर लागू है।

सरकार की सख्ती का दिखा असर?
पिछले दिसंबर में पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट ने ऐसे नौ चैनल्स को उजागर किया था जो फेक न्यूज फैला रहे थे। डीपफेक किस तरह चुनाव को प्रभावित कर सकता है, इसका अहसास ना सिर्फ सरकार बल्कि सोशल मीडिया कंपनियों को भी है, इसलिए बीते दिनों सरकार ने यूजर्स को जागरूक बनाने की जिम्मेदारी से जुड़ी कई अडवाइजरी भी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के लिए जारी की है। यूट्यूब का कहना है कि संवेदनशील और चुनाव को प्रभावित करने वाले कंटेंटे खासकर एआई पर उसकी नजर है, लेकिन सवाल ये भी है कि चुनावी प्रचार के दौरान लाइव स्ट्रीम के वक्त भी क्या ये बंदोबस्त काम करेंगे?

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13028/ 149

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button