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गढ़चिरौली के नक्सल इलाके में पहुंची चुनाव अफसरों की टीम, सौ साल के बुजुर्ग ने डाला वोट

गढ़चिरोली
 धुंधली दृष्टि और कांपते अंग, लेकिन ऊंचे हौसले के साथ, 100 वर्षीय किष्टय्या मदारबोयना ने बुधवार को वोट डाला। यह कोई मामूली क्षण नहीं था। दक्षिण गढ़चिरोली के सिरोंचा के माओवादी गढ़ में यह क्षण इतिहास बना है। किष्टय्या के घर को वोटिंग से पहले मतदान केंद्र में तब्दील किया गया और यह लगभग 45 मिनट तक ऐसे ही रहा। उन्होंने डाक मतपत्र के जरिए अपना वोट डाला। यह खास इसलिए भी था कि यह पहली बार था जब माओवाद के गढ़ में वोटिंग हुई। इतना ही नहीं यहां पहुंचने के लिए चुनाव आयोग की टीम ने 107 किलोमीटर की खतरनाक यात्रा की।

किष्टय्या ने वोट देने के बाद अपना सीलबंद लिफाफा मतदान अधिकारियों को सौंपा। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने अहेरी से सिरोंचा तक 107 किमी की खतरनाक यात्रा की। मदारबोयना के अलावा 86 वर्षीय किष्टय्या कोमेरा ने भी घर से ही अपना मताधिकार का प्रयोग किया।

क्या है योजना

चुनाव आयोग ने डाक मतपत्र सुविधा से वोटिंग की यह सुविधा विकलांगों, 85 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, कोविड से प्रभावित लोगों या आवश्यक सेवाओं में शामिल लोगों और बूथ तक जाने में असमर्थ लोगों के लिए शुरू किया है।

क्या बोले बुजुर्ग

मदारबोयना बिस्तर पर हैं। उन्हें अपनी चुनावी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए तीन घंटे का समय लगा। उन्होंने कहा, 'ऐसी सुविधा एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है। मैं मतदान केंद्र पर कतार में नहीं लग पाता। मैं बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मुझे यकीन नहीं है कि मैं अगले चुनाव तक जीवित रहूंगा।'

सहायक जिला कलेक्टर सचिन जीवाने ने कहा कि अधिकारियों ने इन मतदाताओं की पहचान करने और उनका नामांकन करने के लिए हफ्तों तक मेहनत की।डाक मतपत्रों को मतगणना के दिन खोला जाएगा।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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