देश के सबसे पुराने फाइटर पायलट दलीप सिंह मजीठिया का निधन
चंडीगढ़
भारत के सबसे पुराने फाइटर पायलट स्क्वाड्रन लीडर दलीप सिंह मजीठिया सोमवार को 103 की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने उत्तराखंड में अपने फार्म हाउस में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज रूद्रप्रयाग में होगा। दलीप सिंह मजीठिया का जन्म 27 जुलाई, 1920 को शिमला में हुआ था। अपने चाचा सुरजीत सिंह मजीठिया के नक्शेकदम पर चलते हुए 1940 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना (IAF) के स्वयंसेवक रिजर्व में शामिल हुए। उनके पिता कृपाल सिंह मजीठिया ब्रिटिश शासन के दौरान पंजाब का एक जाना माना नाम था। वो चीफ खालसा दीवान से जुड़े थे और खालसा कॉलेज अमृतसर के संस्थापकों में से एक थे।
दलीप सिंह ने पांच अगस्त 1940 को दो ब्रिटिश प्रशिक्षकों के साथ लाहौर के वॉल्टन एयरफील्ड से टाइगर मोथ एयरक्राफ्ट में अपनी पहली ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरी थी। इसके दो सप्ताह बाद उन्होंने अपनी पहली सोलो उड़ान भरी थी। तब वह सिर्फ 20 साल के थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा (म्यांमार) के मोर्चे पर हॉकर हर्रिकेन उड़ाना उनके जीवन का सबसे अहम अभियान था। ईस्ट इंडिया कंपनी में अपनी सेवा देते हुए उन्होंने बर्मा के मोर्चे पर उड़ान भरी थी। इसमें उनका मुकाबला जापान के फाइटर जीरो से था। दलीप सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने वायुसेना के लिए वेस्टलैंड वैपिटी, आइआइए, हॉकर ऑडैक्स और हार्ट समेत तमाम विमान उड़ाए, लेकिन सबसे प्यारा हर्रिकेन था। यह उस समय का दुनिया का सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट था। इसने ब्रिटेन की लड़ाई जीती थी।
ऑस्ट्रेलिया की जोन सैंडर्स से की शादी
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दलीप सिंह मजीठिया को ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑक्यूपेशन फोर्सेज के लिए चुना गया था। उनकी पोस्टिंग ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। इस दौरान उनकी मुलाकात जोन सैंडर्स से हुई। जोन वहां नेवी में थीं और जोन के पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में थे। 18 फरवरी, 1947 को दलीप सिंह ने गोरखपुर स्थित घर में जोन से शादी कर ली। उनकी दो बेटियां मीरा सिंह और किरण हैं।
नेपाल में पहली बार उतारा प्लेन
ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवा समाप्त करने के बाद दलीप सिंह मजीठिया 18 मार्च, 1947 को भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए। बताया जाता है कि अमेरिकियों ने भारत में अपने कुछ विमान बेच दिए थे। दलीप मजीठिया के चाचा ने इन विमानों में से 9 सीटर और एक 4 सीटर विमान खरीद लिया। दलीप मजीठिया के पास पायलट का लाइसेंस था ही। गोरखपुर से लखनऊ आना हो या दिल्ली या फिर पंजाब, दलीप ने दोनों प्लेन देश भर में उड़ाए। नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री के अनुरोध पर उन्होंने 23 अप्रैल, 1949 को काठमांडू घाटी में अपना प्लेन उतारा था। यहां पर किसी विमान की यह पहली लैंडिंग थी। प्लेन देखने के लिए वहां भीड़ लग गई थी। हालांकि आज वहां एयरपोर्ट बना है