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किशनगंज में सबसे ज्यादा मतदान के बाद ओवैसी की मेहनत सफल!, भाजपा ने मास्टर के लिए वोट मांगने सिर्फ शाहनवाज को भेजा

पटना / किशनगंज.

पहले चरण में देशभर की 102 सीटों पर चुनाव हुआ था और दूसरे चरण में 88 क्षेत्रों में मतदान हुआ। बिहार में पहले चरण में चार सीटों पर मतदान हुआ था, दूसरे दौर में पांच क्षेत्रों में वोटिंग हुई। इस वोटिंग में किशनगंज सुबह भी आगे और फिर शाम में भी आगे। अंतत: बिहार की पांच सीटों में सर्वाधिक 64 प्रतिशत वोट यहीं हुआ। यह लोकसभा चुनाव 2019 के 66 प्रतिशत मतदान से थोड़ा ही कम है।

मतलब, अबतक वोटिंग वाली बिहार की बाकी आठ सीटों के मुकाबले उतना हतोत्साहित करने वाला आंकड़ा नहीं है। यहां गरमी से भी सबसे ज्यादा राहत थी। बिहार की जिन पांच सीटों पर चुनाव हुआ, उसमें सबसे कम 38 डिग्री तापमान यहीं दर्ज किया गया। तो, क्या सिर्फ गर्मी के कारण यहां मतदान अच्छा हुआ? नहीं- इसका सीधा जवाब है। किशनगंज दूसरे तरह की सीट है, यह 2019 में भी इसने बताया था। इस बार भी बताएगी यह सीट- यह पक्का है।

66 प्रतिशत पिछली बार था; इस बार कम, मगर खेला होगा
किशनगंज लोकसभा सीट ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को झटका दिया था। राजग ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतीं, बस किशनगंज सीट को छोड़कर। तब, जीतने वाले कांग्रेसी प्रत्याशी मो. जावदे को 33.32, हारने वाले जनता दल यूनाईटेड के सय्यद महमूद अशरफ को 30.19 और असद्दुदीन ओवैसी की पाटी AIMIM के प्रत्याशी अख्तरुल ईमान को 26.78 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था। एक तरह से इस सीट पर बेहद नजदीकी मुकाबला हुआ था और कुल मतदान में से 89 प्रतिशत वोट इन तीनों में बंट गया था। इस बार कांग्रेस और AIMIM के प्रत्याशी वही हैं, जदयू को नया चेहरा उतारना पड़ा- मास्टर मुजाहिद आलम। इस बार वोटिंग 2019 के मुकाबले दो प्रतिशत कम हुई। यह कमी बहुत बड़ा मामला नहीं है।

कुछ सवालों के जवाब में जीत-हार और फासले का अंतर
असल माजरा है कि इस सीट पर क्या जदयू पिछली बार जितना ताकतवर नजर आया? इस सवाल का जवाब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभाओं में पहुंचे लोगों ने बता दिया। दूसरी बात यह कि क्या बहुत कम अंतर से तीसरे नंबर पर रहे AIMIM को मुख्य मुकाबले में खड़ा करने के लिए ओवैसी ने जिस तरह से लगातार करीब 48 घंटे दिन-रात मेहनत की, भड़काऊ बयान दिए- उससे मुस्लिम बहुल इस सीट पर उन्हें फायदा नहीं मिला होगा? एक और सवाल यह कि क्या कांग्रेस ने जीते हुए प्रत्याशी का नाम घोषित करने में भी देरी की तो उसका नुकसान नहीं होगा? इन सवालों के जवाब में जीत-हार और अंतर का गणित है। एक और बात यह भी चर्चा में है कि भाजपा ने फिर इस सीट पर उदासीनता दिखाई। यहां राष्ट्रीय नेताओं में सिर्फ पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन को भेजा। सीएम नीतीश कुमार की सभा में वह जदयू प्रत्याशी के लिए वोट की अपील करते नजर आए, जबकि भागलपुर के अलावा शाहनवाज का खुद का नाम इस सीट पर चर्चा में था।

मौसम का हालचाल भी वोटरों के पक्ष में रहा, सबसे ज्यादा मतदान
शुक्रवार को जिन पांच सीटों पर मतदान हुआ, उनमें सबसे कम 38 डिग्री तापमान किशनगंज में दर्ज किया गया था, जहां दूसरे चरण में सर्वाधिक 64 प्रतिशत मतदान हुआ। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में मतदान के प्रति बहुत ज्यादा उत्साह सुबह से दिखा। तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी मुस्लिम हैं, इसलिए इस आधार पर नहीं बताया जा सकता है कि किसे वोट मिला होगा। इस सीट पर गर्मी का असर भी कम था और यह वोट पर भी दिखा। बाकी चार सीटों में सबसे ज्यादा 42.7 डिग्री तापमान बांका संसदीय क्षेत्र में रिकॉर्ड हुआ, जहां (रात साढ़े 10 बजे अपडेट) 54.61 प्रतिशत वोट बताया गया। तापमान 41 डिग्री कटिहार और भागलुपर में रहा। रात साढ़े 10 बजे अपडेट आंकड़ों के अनुसार कटिहार का वोट प्रतिशत 64.60 रहा, जबकि भागलपुर का 52 प्रतिशत रहा।  इन तीनों से कम तापमान पूर्णिया में 40.5 डिग्री दर्ज किया गया और इस लोकसभा सीट पर रात साढ़े 10 बजे के आंकड़ों के अनुसार 61:9 प्रतिशत वोटिंग हुई।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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