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2024 लोक सभा चुनावों पर कुल 1.35 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड खर्च का अनुमान

नई दिल्ली-देश में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. इस चुनावों में दो चरण की वोटिंग हो चुकी है जबकि 05 चरणों की वोटिंग अभी बाकी है. भारतीय आम चुनाव इतनी खर्चीले हैं कि आप सोच भी नहीं सकते कि आपका एक वोट कितने रुपए का होता है यानि जब आप एक वोट देते हैं, तो उसके पीछे कितनी रकम खर्च होती है. चुनावों में जो लोग ड्यूटी दे रहे होते हैं उन्हें एक दिन का जो पैसा मिलता है, उससे ज्यादा कीमत आपके एक वोट की होती है.

मौजूदा भारतीय चुनावों में खर्च के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं. इस बार चुनाव का सारा खर्च मिलाकर 1.35 लाख करोड़ रुपए के आसपास होने जा रहा है. जबकि पिछली बार वर्ष 2019 के आम चुनावों में 60,000 करोड़ रुपए का कुल खर्च आया था. चुनावों में कितना खर्च आ रहा है इसका आंकलन 03-04 महीनों की कवायद के बाद सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज यानि सीएमएस ने किया है.

सीएमएस करीब 35 सालों से देश में चुनावों को ट्रैक कर रहा है. हर साल चुनावों में सीएमएस चुनावों के खर्च का पूरा आंकलन करता है, वो सभी तरह के खर्चों को जोड़कर किया जाता है. इसमें सभी तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खर्चों को जोड़ा गया है. इसमें सियासी पार्टियों के खर्च, चुनाव आयोग का खर्च, सरकार का खर्च यानि हर तरह का वो व्यय है, जो आम चुनावों में होता है.

अब आप सोच रहे होंगे कि इन सब बातों का एक वोटर द्वारा दिए गए वोट की कीमत से क्या लेना देना है. है बिल्कुल है. इसे ही हम आगे समझाएंगे. पहले ये माना जा रहा था कि भारत में इन चुनावों में 1.2 लाख करोड़ की रकम खर्च होगी लेकिन बाद में सारे आंकलन के बाद ये संख्या 1.35 लाख करोड़ निकली. मौजूदा चुनाव 45 दिनों और 07 चरणों में होंगे.

आपको हम ये भी बता दें अमेरिका में जब 2020 के चुना्व हए थे तो भारतीय रुपए के हिसाब से 1.2 लाख करोड़ रुपए आया था और इसे दुनिया का सबसे महंगा चुनाव कहा गया था. दुनिया में बहुत कम देश हैं जहां चुनावों में इतनी भारी-भरकम रकम खर्च होती है. भारतीय चुनावों में मोटा खर्च चुनाव की प्रक्रिया के लिए तैनाती, सुरक्षा बलों का एक स्थान से दूसरे स्थान जाना, लॉजिस्टिक खर्च और ईवीएम व वीवीपैट जैसी चीजों को लेकर भी होता है.

भारत में इस चुनावों में 96.6 करोड़ मतदाता है और देश की कुल जनसंख्या 140 करोड़ के आसपास है. अगर हम चुनाव के कुल खर्चों को 1.35 लाख करोड़ मानें तो प्रति वोटर एक वोट की कीमत 1400 रुपए के बराबर होगी लेकिन अगर देश की कुल जनसंख्या के साथ प्रति व्यक्ति वोट की कीमत का आंकलन किया जाए तो हर वोट की कीमत 964.28 रुपए होगी.

ये कीमत भारत की आधी से ज्यादा जनता की एक दिन की आमदनी के बराबर कही जा सकती है. वैसे हम आपको बता दें कि जब आप वोट देने जाते हैं तो वहां जो प्रिसाइडिंग अफसर तैनात होता है, उसे एक दिन के लिए चुनाव आयोग जो 350 रुपए की रकम देता है, उससे एक भारतीय मतदाता के वोट की कीमत 03-04 गुना बैठती है. आइए यहां हम बता दें कि चुनाव आयोग किस तरह चुनाव में तैनात लोगों को खर्च देता है

चुनावों में तैनात सभी लोगों को एक दिन के खाने 150 रुपए दिए जाते हैं या इस कीमत का खाने नाश्ते का पैकेट मिलता है. टीए और डीए की रकम 100 फीसदी होती है.

पहले चुनावों में कितना खर्च हुआ था
जब देश में पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे तो 10.45 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. तब से लेकर 2009 के चुनावों तक चुनावों खर्चों की रकम 84 गुना हो गई और अगर मौजूदा चुनावों के खर्च की बात करें तो हजार गुना के आसपास ठहरती है. वैसे 1952 में चुनावों पर सरकार का ज्यादा खर्च आया था, हालांकि इसके बाद 1957 और 1962 के चुनावों पर वो रकम घट गई.

2019 में चुनाव में जो कुल 60,000 करोड़ रुपए खर्च हुए, उसमें 45 फीसदी हिस्सा बीजेपी ने किया था. 2024 के चुनावों में ये और बढ़ेगा. हालांकि चुनावों में जो भी खर्च हो रहा है, देरसबेर उसका भार देश के लोगों को ही टैक्स और तमाम अन्य करो, अधिभार के जरिए चुकाना होगा.

वर्ष 1952 में जब देश में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए वो इस पर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुआ था, वास्तव में इतना खर्च फिर 1957 और 1962 के चुनावों में भी नहीं हुआ. वजह ये थी कि पहले चुनावों में प्रक्रियागत ऐसे खर्च थे, जो पहली बार हो रहे थे. इस चुनाव में भारत की कुल जनसंख्या 37 करोड़ थी जबकि मतदाताओं की संख्या 17-18 करोड़ के बीच. तो अगर प्रति वोटर बात करें तो खर्च 80 पैसे के आसपास आया था और अगर कुल जनसंख्या की बात करें प्रति शख्स खर्च 50 पैसे आया था.

अगर इस बार प्रति वोट 1400 रुपए का खर्च आ रहा है तो इस हिसाब से अगर 40 फीसदी लोग वोट नहीं देते तो ये लोग चुनाव प्रक्रिया में करीब 60,000 करोड़ के खर्च का नुकसान करेंग

दिसंबर 2023 तक, भारत सरकार ने 2023-2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कुल 5,331.7 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव रखा। यह भी शामिल है:
ईवीएम के लिए 1,891.78 करोड़ रुपये
लोकसभा चुनाव के लिए 180 करोड़ रुपये
मतदाता पहचान पत्र के लिए 18 करोड़ रुपये
अन्य चुनाव खर्चों के लिए 94 करोड़ रुपये
सरकार ने चुनावों के लिए अतिरिक्त 3,000 करोड़ रुपये का भी प्रस्ताव रखा, जो 2023-2024 के बजट अनुमान में चुनाव-संबंधी खर्चों के लिए कानून मंत्रालय को आवंटित 2,183.78 करोड़ रुपये के अतिरिक्त होगा.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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