RO.NO. 13207/103
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

SC ने बुरी तरह फटकारा फिर थमा दिया अवमानना का नोटिस, दूसरों को सुनाते थे सजा, आज खुद कठघरे में

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार, 03 मई) राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के दो सदस्यों को कड़ी फटकार लगाई है और उन्हें अवमानना का नोटिस थमाया है। शीर्ष अदालत ने एक रियल एस्टेट फर्म के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से परहेज करने के अपने 1 मार्च के आदेश का उल्लंघन करने के खिलाफ ये आदेश दिया है।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के सामने NCDRC के सदस्य सुभाष चंद्रा और डॉ. साधना शंकर खुद पेश हुए थे। इन दोनों ने शीर्ष अदालत के स्थगन आदेश के बावजूद रियल एस्टेट कंपनी के निदेशकों को गैर-जमानती वारंट जारी किए थे। आयोग के दोनों सदस्यों को पीठ ने कड़ी फटकार लगाई और पूछा कि स्थगन के बावजूद आपने गैर जमानती वारंट कैसे जारी किया?

इसके साथ ही खंडपीठ ने पूछा कि आप दोनों अदालत को यह बताएं कि आपके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए? हालांकि, दोनों सदस्यों ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया कि उनसे अनजाने में ये गलती हुई है लेकिन टॉप कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आज की सुनवाई के दौरान पेश हुए एनसीडीआरसी के दोनों सदस्यों और उनके वकील अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से बातचीत के बाद भी पीठ उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुई। उनकी दलीलें सुनने के बाद जस्टिस अमानुल्लाह ने अटॉर्नी जनरल से कहा, "आपका हम  सम्मान करते हैं, इसलिए आपसे सीधे सवाल पूछ रहे हैं? क्या आप अभी भी अपने हलफनामे पर टिके हैं? हां या नहीं? क्योंकि इसके गंभीर दंडात्मक परिणाम होंगे, हम इसे अवहेलना मानते हैं… आपको इस बारे में सावधान रहना होगा कि आप कहां किस पेपर पर हस्ताक्षर करते हैं!"

इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने NCDRC के दोनों सदस्यों की तरफ से कोर्ट से माफी मांगी और फिर कहा कि उन्होंने जानबूझकर ये गलती नहीं की है। अटॉर्नी जनरल ने कहा, "मैं ईमानदारी से और बिना शर्त माफी मांगता हूं । कृपया किसी भी बात को जानबूझकर नहीं समझें। हो सकता है कि मैं यह बताने में विफल रहा हूं।" इसके बाद भी पीठ अपने रुख पर अड़ी रही।

तब जस्टिस हिमा कोहली ने टिप्पणी की कि "गैर-जमानती वारंट को कम मत आंकिए।" इसी बीच जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, "यह अदालत का मजाक है। पूरी तरह से दंडमुक्ति नहीं मिल सकती।" जस्टिस कोहली ने पूछा कि जब हमने उनके हाथ बांध दिए थे, तब भी अपना आदेश वापस क्यों नहीं लिया। उन्होंने जानबूझकर हमारे आदेश का उल्लंघन किया है! इसके बाद कोर्ट ने अवमानना का नोटिस थमा दिया।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13207/103

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button