फिर बलूचिस्तान में 7 पंजाबियों का कत्ल, क्यों पाक में बढ़ रहा है अलगाव
ग्वादर
पाकिस्तान में क्षेत्रीय संघर्ष अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। पिछले महीने ही बलूचिस्तान में पाकिस्तान के ही पंजाब प्रांत के रहने वाले 11 लोगों को मार डाला गया था। इनमें से 9 लोगों को तो बस से उतारकर महज इसलिए कत्ल कर दिया गया था क्योंकि वे पंजाबी थे। अब ऐसा ही एक और वाकया बलूचिस्तान के ग्वादर में सामने आया है। ग्वादर में गुरुवार की सुबह 7 लोगों को गोलियों से भून डाला गया। ये सभी लोग मजदूर थे और अपने कमरों में सो रहे थे। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना ग्वादर के सुरबंदर में हुई है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इसे भी क्षेत्रीय आधार पर की गई हिंसा ही माना जा रहा है।
बलूचिस्तान के चीफ मिनिस्टर मीर सरफराज बुगती ने इस घटना को खुला आतंकवाद करार दिया है और कहा कि ऐसा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। बुगती ने कहा कि मारे गए लोगों के परिजनों की पूरी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम आतंकवादियों और उन्हें मदद देने वालों को छोड़ेंगे नहीं। यही नहीं बुगती ने कहा कि आतंकवादियों से निपटने के लिए जो भी ताकत इस्तेमाल करनी होगी की जाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानियों के खून का एक कतरा भी गिराने वालों का हिसाब किया जाएगा।
माना जा रहा है कि बलूच अलगाववादी संगठनों ही इस घटना के अंजाम दिया है। इससे पहले भी ग्वादर समेत बलूचिस्तान के कई इलाकों में पंजाब के लोगों एवं चीनियों तक को टारगेट करते हुए हमले हो चुके हैं। इन हमलों की जिम्मेदारी अकसर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी लेती रही है। यह संगठन बलूचिस्तान की स्वायत्तता की मांग करता रहा है। यही नहीं चीनी परियोजनाओं का भी यहां विरोध रहा है। बता दें कि पाकिस्तान के बनने के बाद से ही बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांतों में अलगाववादी आंदोलन चलते रहे हैं।
क्यों सुलगते रहे हैं पाकिस्तान के तीन प्रांत, कैसे बढ़ा अलगाववाद
इन प्रांतों में एक बड़े वर्ग का मानना है कि पाकिस्तान ने उनकी संस्कृति, भाषा और हितों को नजरअंदाज किया है। पख्तून तो खुद को एक अलग कौम मानते हुए अलग मुल्क ही मानते हैं। यही नहीं खैबर पख्तूनख्वा के लोगों का अफगानिस्तान के लोगों से भी संपर्क रहा है। दोनों खुद को साझा पख्तून संस्कृति का मानते हैं। इसी तरह बलूचिस्तान और सिंध के लोग भी मानते हैं कि उन पर पंजाबी प्रभुत्व को थोपा जाता रहा है। पाकिस्तान की सेना, न्यापालिका, नौकरशाही में पंजाबियों के प्रभुत्व को लेकर इन राज्यों में असंतोष रहा है।