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समस्तीपुर में वारिस का सियासी जंग, नीतीश कुमार के 2 मंत्रियों के बच्चे चुनाव में आमने-सामने

पटना
सियासत का असली रंग समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। जननायक से भारत रत्न बने कर्पूरी ठाकुर की इस भूमि पर वैसे तो चुनाव लड़ने वाले दो अलग-अलग दल के उम्मीदवार हैं लेकिन असल में चुनाव कोई तीसरा दल लड़ रहा है। यहां उम्मीदवार के तौर पर लोजपा-आर की शांभवी चौधरी और कांग्रेस के सनी हजारी हैं। लेकिन इस सियासी युद्ध के पीछे तीसरी पार्टी जदयू के तमाम नेता लगे हुए हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि जदयू नेता दो खेमों में बंटकर दोनों प्रत्याशियों के लिए अलग-अलग काम कर रहे हैं। दरअसल, लोजपा-आर की उम्मीदवार शांभवी सूबे के ग्रामीण कार्य मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी की बेटी हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी सनी हजारी जदयू के ही वरिष्ठ नेता और सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे हैं।

देश में शायद ही ऐसा चुनाव हुआ होगा जहां एक ही पार्टी और सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों की संतान एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी जंग में गुत्थमगुत्थी किए हों। ऐसे में यह भी तय है कि  दोनों वरिष्ठ मंत्रियों की संतानों की जीत-हार के मायने भी जदयू में ही निकाले जाएंगे। एक ओर जहां अशोक चौधरी खुलकर अपनी बेटी के पक्ष में धुआंधार प्रचार कर रहे हैं तो महेश्वर हजारी पर्दे के पीछे से अपने बेटे को दिल्ली दरबार भेजने में जुटे हैं। इसमें बाजी कौन मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। इस मुकाबले में यह भी तय है कि दोनो में से कोई भी जीते, अपने पिता की राजनीतिक विरासत को ही आगे बढ़ाएंगे।

दिलचस्प यह है कि दोनों ही प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में पहली बार उतरे हैं। वह भी सीधे टिकट लेकर। पिछली बार उप चुनाव में यहां लोजपा के प्रिंस राज तो कांग्रेस से अशोक कुमार चुनाव लड़े थे। एनडीए में होते हुए भी प्रिंस राज की पार्टी रालोजपा को इस बार टिकट नहीं मिला जिस कारण वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। जबकि अशोक कुमार लगातार तीन चुनाव हार गए तो कांग्रेस ने सनी हजारी को पार्टी में शामिल कर उन पर दांव लगाया। इलाके में इसकी भरपूर चर्चा है कि महेश्वर हजारी खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें टिकट नहीं मिला तो अपने बेटे को आगे कर दिया।

जातिगत समीकरण देखें तो समस्तीपुर में कुशवाहा और यादवों का प्रभुत्व है। हालांकि अन्य जातियों की बहुलता के कारण अत्यंत पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति भी चुनाव परिणाम में बड़ी भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आ रहा है, यहां बाहरी-भीतरी का मुद्दा भी तेज होने लगा है। यहां 13 मई को चुनाव होना है। मतदान में अब गिनती के ही दिन बच गए हैं लेकिन समस्तीपुर शहर के चौक-चौराहों पर चुनाव को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा है। बातचीत करने वाले हर शख्स अनमने से जवाब देते हैं कि समय आएगा तो किसी न किसी को वोट दे देंगे।

सड़क पर कुर्सी लगाकर नाई का काम करने वाले प्रदीप ठाकुर कहते हैं कि बहुत हो गया। इस बार मन बना लिया है। घर के आदमी को ही चुनेंगे। ठेला चलाने वाले राजू की राय इनसे अलग है। कहते हैँ कि बाहरी-भीतरी क्या होता है। हम उसे चुनेंगे जो काम करे। मगरदहीघाट पर चाय की चुस्की ले रहे रोजी-रोजगार की तलाश में खड़े रोहन कुमार की अलग पीड़ा है। इनका साफ मानना है कि जो रोजगार की बात करेगा, हमारा वोट उसी को जाएगा। वारिसनगर के प्रदीप कुमार महतो कहते हैँ कि समस्तीपुर इस बार रिकॉर्ड बनाएगा। देखना यह है कि कौन मंत्री का बेटा-बेटी बाजी मारता है। अगर महिला जीती तो समस्तीपुर को पहली बार महिला सांसद मिलेगा। ताजपुर बाजार के अजीत कुमार कहते हैं कि हम तो केवल अपने वोट की बात कर सकते हैं। लेकिन यहां का मुकाबला रोचक है।

विधानसभा में एनडीए का दबदबा
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें पांच पर एनडीए का कब्जा है। समस्तीपुर में दरभंगा जिले के दो तो समस्तीपुर जिले के चार विधानसभा क्षेत्र हैं। दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान(सुरक्षित) से जदयू के अमन भूषण हजारी विधायक हैं जो महेश्वर हजारी के परिवार से हैं। हायाघाट से भाजपा के रामचंद्र प्रसाद विधायक हैं। समस्तीपुर जिले में कल्याणपुर(सुरक्षित) से सरकार के वरिष्ठ मंत्री और समस्तीपुर के कांग्रेस प्रत्याशी सनी हजारी के पिता महेश्वर हजारी खुद विधायक हैं। वारिसनगर से जदयू के अशोक कुमार तो रोसड़ा (सुरक्षित) से भाजपा के वीरेन्द्र कुमार विधायक हैं। इंडिया गठबंधन में समस्तीपुर सीट से राजद के इकलौते विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहीन हैं। पिछले चुनाव में एनडीए ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपनी बढ़त बनाई थी।

परिसीमन के बाद समस्तीपुर हुआ सुरक्षित
आजादी के बाद से लेकर परिसीमन होने तक समस्तीपुर सामान्य सीट था। इस सीट से 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर चुनाव भी जीत चुके हैं। वर्ष 2004 में इस सीट से आलोक कुमार मेहता सामान्य सीट से अंतिम सांसद चुने गए थे जो अभी उजियारपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में 2009 में जदयू के महेश्वर हजारी चुनाव जीते थे। वर्ष 2014 और 2019 में लोजपा के रामचंद्र पासवान सांसद बने। रामचंद्र पासवान के निधन के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में लोजपा के टिकट पर ही उनके बेटे प्रिंस राज सांसद बने।  
 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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