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सरकारी जमीन पर किसी भी तरह के अवैध धार्मिक स्थल की अनुमति नहीं दी जाएगी: केरल उच्च न्यायालय

कोच्चि-केरल उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि सरकारी जमीन पर किसी भी अवैध धार्मिक स्थल के निर्माण को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए फिर चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो।उच्च न्यायालय ने कहा कि ईश्वर ‘सर्वशक्तिमान’ है और श्रद्धालुओं के शरीर, उनके घर सहित हर जगह मौजूद है।

न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा, ”इसलिए ईश्वर में आस्था रखने वालों को धार्मिक संरचनाओं के निर्माण के लिए सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने की आवश्यकता नहीं है। इसे भूमिहीन लोगों में वितरित किया जाना चाहिए और मानव जाति के लिए उपयोग में लाया जाना चाहिए। ऐसा करने से ईश्वर ज्यादा खुश होंगे और सभी को आशीर्वाद देंगे।”

केरल प्लांटेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अदालत में एक याचिका दाखिल कर राज्य सरकार, पुलिस और पथनमथिट्टा जिला अधिकारियों को संस्थान को पट्टे पर दी गई संपत्तियों की पहचान करने और वहां से सभी अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश देने की मांग की थी, जिसपर उच्च न्यायालय ने यह निर्देश और टिप्पणियां कीं।

केरल प्लांटेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड की अर्जी को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे संस्थान को पट्टे पर दी गई संपत्तियों की पहचान करें और सरकारी भूमि पर निर्मित सभी अवैध धार्मिक संरचनाओं सहित सभी अतिक्रमणकारियों को इस फैसले की प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह महीने की अवधि के भीतर किसी भी तरह से हटायें।

अदालत ने 27 मई को दिये अपने आदेश में मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी जिलाधिकारियों को यह पता लगाने के लिए जांच करने का निर्देश दें कि क्या किसी धार्मिक समूह द्वारा किसी सरकारी भूमि पर अवैध, अनाधिकृत पत्थर या फिर क्रॉस या अन्य किसी भी तरह की संरचनाएं तो नहीं लगाई या बनाई गई हैं।

जिलाधिकारी राज्य के मुख्य सचिव से आदेश प्राप्त होने की तिथि से छह महीने की अवधि के भीतर इस तरह की अवैध संरचनाओं की जांच करेंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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