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अमरनाथ यात्रा पर मौसम ने लगाई रोक, भारी बारिश के चलते रोके गए यात्री

श्रीनगर

कश्मीर में अमरनाथ मंदिर में पिछले सात दिनों में 1.50 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। वहीं 5 हजार 871 यात्रियों का एक और जत्था शनिवार को कश्मीर के लिए रवाना हुआ।श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि सात दिनों में अब तक 1.50 लाख से अधिक तीर्थयात्री यात्रा कर चुके हैं।

एसएएसबी के अधिकारियों ने बताया, "आज 5,871 यात्रियों का एक और जत्था दो सुरक्षा काफिलों के साथ जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से घाटी के लिए रवाना हुआ। इनमें से 2,112 यात्रियों का पहला जत्था 110 वाहनों में सवार होकर सुबह 2:50 बजे उत्तरी कश्मीर के बालटाल आधार शिविर के लिए रवाना हुआ, जबकि 3,759 यात्रियों को लेकर 134 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह 3:50 बजे दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।"

अधिकारियों ने कहा, "यात्रा 29 जून को शुरू होने के बाद से बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चल रही है।"

श्रद्धालु या तो 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम गुफा मंदिर मार्ग से यात्रा करते हैं या फिर 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से यात्रा करते हैं।

पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं, जबकि बालटाल मार्ग का उपयोग करने वाले लोग गुफा मंदिर के अंदर 'दर्शन' करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौट आते हैं।

दोनों मार्गों पर और पारगमन शिविरों ताथ गुफा मंदिर में 124 से अधिक लंगर (सामुदायिक रसोई) बनाये गए हैं। इस साल की यात्रा के दौरान 7 हजार से ज्यादा सेवादार यात्रियों की सेवा कर रहे हैं। दोनों मार्गों पर यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

पहली बार सातवें दिन ही अदृश्य हुए बाबा बर्फानी

अमरनाथ गुफा मंदिर  में यात्रा शुरू होने के सातवें ही दिन बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए हैं। इससे पहले भी बाबा बर्फानी अदृश्य हो चुके हैं। सावन के महीने में शिवलिंग पिघल जाती है।

हालांकि, इस बार सावन का महीना शुरू होने के 16 दिन पहले ही बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि 7 दिनों में ही बाबा बर्फानी गायब हो गए हैं। अब अमरनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा के ही दर्शन होंगे।
क्या रहा कारण?

अमरनाथ गुफा मंदिर  में शिवलिंग पिघलने की वजह अधिकारियों ने गर्मी बताई है।

रोकी गई अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ में एक तरफ बाबा बर्फानी के गायब होने की वजह से श्रद्धालु नाराज है, तो वहीं दूसरी तरफ बारिश के चलते अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है। बता दें कि जम्मी-कश्मीर में भारी बारिश हो रही है।

बारिश की वजह से अमरनाथ यात्रा को अस्‍थायी रूप से रोक दिया गया है।

29 जून को शुरू हुई थी यात्रा

इस साल 29 जून 2024 से अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2024) की शुरुआत हुई थी। इस बार श्रद्धालु भारी संख्या में वहां पहुंचे हैं। बीते 6 दिनों में बाबा बर्फानी के दर्शन करने आए भक्तों का आंकड़ा 1 लाख को पार कर चुका है।

श्राइन बोर्ड के अनुसार, यात्रा की शुरुआत के बाद से अब तक छह दिनों में 1 लाख 30 हजार 189 लोगों ने पवित्र गुफा बैठे बाबा बर्फानी के दर्शन किए।

इस बार बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आई भक्तों की संख्या ने पिछले सारे रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर दिया है। पिछले 6 दिनों में 1 लाख से ज्यादा भक्तों ने अपनी यात्रा को पूरा कर लिया है।

7वें दिन कितने श्रद्धालु पहुंचे अमरनाथ?

अमरनाथ गुफा मंदिर  में 7वें दिन 6 हजार से ज्यादा यात्री जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से अमरनाथ पवित्र गुफा की ओर रवाना हुए। एक अधिकारी के मुताबिक, गुरुवार को 259 वाहनों में सवार 6919 तीर्थयात्री जम्मू से कश्मीर घाटी की पहलगाम और बालटाल पहुंचे थे।

19 अगस्त को समाप्त होगी यात्रा

इस बार 29 जून को अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई थी, जो कि 19 अगस्त को समाप्त होगी।

पहले भी अदृश्य हो चुके हैं बाबा

अमरनाथ गुफा मंदिर (Amarnath Yatra 2024) में पिछले साल बाबा बर्फानी 14 दिन में अदृश्य हो गए थे। वहीं,  साल 2016 में 13 दिन बाद अदृश्य हुए थे।

क्या है शिवलिंग पिघलने की वजह?

अमरनाथ गुफा मंदिर (Amarnath Yatra 2024) में पिछले कई सालों से पवित्र हिम शिवलिंग पिघलकर गायब हो चुकी है। बीते कई सालों से शिवलिंग लगातार समय से पहले ही पिघल रही है। ये सिलसिला 2006 से जारी है।

इसके पीछे की वजह ग्लोबल वार्मिंग बताई गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अमरनाथ गुफा में समय से पहले शिवलिंग के पिघलने का कारण ग्लोबल वार्मिंग माना है।

ऐसे होता है शिवलिंग का निर्माण

बता दें कि अमरनाथ में ये पवित्र गुफा 90 फीट लंबी और 150 फीट ऊंची है। ऐसा माना जाता है कि गुफा में जल की बूंद टपकती है, उस वजह से ही शिवलिंग बनता है। उसके बाद चंद्रमा के घटने बढ़ने के साथ बर्फ से बने शिवलिंग के आकार में परिवर्तन होता है और अमावस्या तक शिवलिंग धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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