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मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, अगर सबकुछ ठीक रहा तो उनका ग्रेड-पे बढ़ सकता है

भोपाल
मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है, अगर सबकुछ ठीक रहा तो उनका ग्रेड-पे बढ़ सकता है। इसके दायरे में वो कर्मचारी आएंगे, जिनका वेतन विधानसभा चुनाव के समय समकक्षता निर्धारण में कम हो गया था। विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने डेढ़ लाख से अधिक संविदा कर्मचारियों को साधने के लिए उनका ग्रेड पे नियमित कर्मचारियों के बराबर लाने की घोषणा की थी। इसके लिए समकक्षता का निर्धारण वित्त विभाग की अनुमति से किया गया, जिसको लेकर कर्मचारियों ने आपत्ति उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

कम हो गया वेतनमान
दरअसल, इसमें कुछ संवर्ग के कर्मचारियों का वेतनमान कम हो गया, जिसको लेकर वे न्यायालय चल गए। अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास के साथ अन्य विभागों ने कर्मचारियों से पुराने और नए वेतन के अंतर को लेकर जानकारी मांगी है। पूरा मामला कर्मचारी आयोग को अनुशंसा करने के लिए सौंपा जा सकता है।

शिवराज सरकार ने बनाई थी नीति
शिवराज सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई थी। इसमें यह प्रविधान किया था कि समकक्ष पद का 90 प्रतिशत दिया जाएगा, जिसे बाद में सौ प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही 50 प्रतिशत पद भी आरक्षित कर दिए गए लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ।

2400 से 1900 हुआ ग्रेड पे
चुनाव के समय संविदा कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए समकक्षता निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की गई और समिति ने विचार-विमर्श के बाद ग्रेड पे का निर्धारण कर दिया। इसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर का ग्रेड पे 2400 से घटाकर 1900 कर दिया गया। इसी तरह सहायक ग्रेड एक और दो, कार्यालय सहायक, सहायक ग्रंथपाल सहित अन्य पद का ग्रेड पे भी 1900 रुपये हो गया।

उच्च न्यायालय में याचिका
मनरेगा योजना के डाटा एंट्री आपरेटरों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। पारित आदेश के आधार पर समकक्षता मैट्रिक्स लेवल चार कर दी पर उन्होंने इसे बढ़ाकर मैट्रिक्स लेवल छह करने का अभ्यावेदन दिया, जिसे अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन मनीष रस्तोगी और सचिव वित्त अजीत कुमार की समिति ने अस्वीकार कर दिया।

सभी विभागों के समकक्ष पद समान वेतन
इसके पीछे तर्क दिया कि अन्य विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर या अन्य समकक्ष पदों के लिए मैट्रिक्स लेवल चार निर्धारित है। इसमें यदि वृद्धि की जाती है तो उन्हें नियमित पदों पर नियुक्ति में अवसर मिलने में कठिनाई होगी। इसी तरह के मामले अन्य पदों से जुड़े भी हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में तो हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अधिकारियों के विरुद्ध वारंट ही जारी कर दिया है।

नए सिरे से होगा निर्धारण
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समकक्षता निर्धारण से जुड़े प्रकरणों को कर्मचारी आयोग को भेजा जा सकता है। जहां सभी पक्षों को सुनने के बाद शासन को समकक्षता निर्धारण को लेकर अनुशंसा की जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि कुछ पदों की समकक्षता का निर्धारण नए सिरे से हो सकता है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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