RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

महिलाओं का सम्मान वन स्टॉप सेंटर के प्रयासों से लौट रहा

   उज्जैन
 महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिससे निपटने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में मिशन शक्ति की संबल उपयोजना के अंतर्गत वन स्टॉप सेंटर की स्थापना महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की हिंसा से प्रभावित और संकटग्रस्त महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर विभिन्न आपातकालीन एवं गैर-आपातकालीन सहायता उपलब्ध कराना है।

महिला सशक्तिकरण में वन स्टॉप सेंटर की भूमिका

·  सुरक्षित आश्रय एवं तात्कालिक सहायता – वन स्टॉप सेंटर उन महिलाओं को तत्काल आश्रय और सुरक्षा प्रदान करता है जो घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, यौन हिंसा अथवा किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होती है। सेंटर में महिलाओं को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें सुरक्षित वातावरण में आश्रय दिया जाता है।

·  कानूनी सहायता और परामर्श – वन स्टॉप सेंटर पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करता है ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सके और आवश्यक कानूनी कदम उठा सकें। कानूनी परामर्श और न्यायिक प्रक्रियाओं में सहायता मिलने से महिलाएँ अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय पाने की दिशा में सशक्त हो सकें।

·  चिकित्सा सहायता – वन स्टॉप सेंटर पर महिलाओं को तत्काल चिकित्सा सहायता मिलती है। हिंसा या प्रताड़ना से घायल महिलाओं को नजदीकी स्वास्थ्य सेवाएँ के साथ समन्वय कर चिकित्सा सेवाएँ दी जाती है।

·  मनोवैज्ञानिक परामर्श – हिंसा की शिकार महिलाएँ अक्सर मानसिक आघात से गुजरती है, वन स्टॉप सेंटर पर प्रशिक्षित परामर्शदाता महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करते है जिससे उनका आत्म-विश्वास मजबूत होता है।

·  पुनर्वास सेवाएँ एवं समाज में पुनर्स्थापना – वन स्टॉप सेंटर महिलाओं को पुनर्वास सेवाएँ भी प्रदान करते है। जरूरत पड़ने पर महिलाओं को उनके परिवार के साथ पुनर्स्थापित करने अथवा उन्हें स्वतंत्र जीवन जीने, अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर प्रदान करता है।

·  आर्थिक सशक्तिकरण के लिये प्रशिक्षण और रोजगार – वन स्टॉप सेंटर महिलाओं को रोजगार और स्व-रोजगार देने के लिये प्रशिक्षण देने का भी प्रयास करते है। महिलाओं को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है। इससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें और समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकें।

       प्रदेश के 52 जिलों में 57 वन स्टॉप सेंटर संचालित किये जा रहे है। प्रारंभ से अगस्त 2024 तक 98 हजार 636 महिलाओं को पंजीकृत कर विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की गई, जिसमें लगभग 78 प्रतिशत महिलाएँ (76,499) को घरेलू हिंसा से संबंधित सहायता प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त दहेज उत्पीड़न, बलात्कार, यौन अपराध, बाल विवाह, गुमशुदा, अपहरण, निराश्रित आदि से संबंधित प्रकरणों में यथोचित मदद की गई। वर्ष 2019-20 में कुल 6 हजार 352 महिलाओं को सहायता दी गई थी। वर्ष 2023-24 में 21 हजार 490 महिलाओं को मदद प्रदान की गई। अब सभी वन स्टॉप सेंटर में वाहनों का प्रावधान भी किया गया है, जिससे दूरस्थ महिलाओं को भी त्वरित सहायता मिल सकेगी।

क्रमांक 1881         

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button