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बिना प्रीमियम, 1.5 लाख का कैशलेस इलाज, जानिए क्या है नई स्कीम

नई दिल्ली
हर साल सड़क हादसों में घायल ना जाने कितने लोग महज इसलिए अपनी जान गंवा देते हैं, क्योंकि उन्हें समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता। ऐसे हादसों में अक्सर अस्पतालों का महंगा खर्च भी लोगों से उनके अपनों को छीन लेता है। साल 2022 के आंकड़ों को ही अगर देखें तो सड़क हादसों में लगभग 1.68 लाख लोगों की जान गई थी।

केंद्र सरकार अब इस तरह के मामलों के लिए एक ऐसी स्कीम लेकर आई है, जिसमें सड़क हादसे के पीड़ित को 1.5 लाख रुपए का कैशलेस इलाज दिया जाएगा। ये स्कीम अभी पायलट प्रोग्राम के तौर पर केवल चंडीगढ़ में लागू की गई है और इसके परिणाम को देखते हुए बाद में इसे देशभर में लागू किया जाएगा।

क्या है ये पूरी स्कीम ?
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने गुरुवार को कैशलेस इलाज के इस पायलट प्रोग्राम को लॉन्च किया। इसके तहत किसी भी तरह के सड़क हादसे में घायल को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा और उसे 1.5 लाख रुपए का कैशलेस इलाज मिलेगा। पीड़ित को इसके तहत 7 दिनों तक कैशलेस इलाज दिया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक, इस प्रोग्राम का मकसद एक ऐसा सिस्टम तैयार करना है, जिसमें समय रहते पीड़ित को इलाज मिले। खासकर शुरुआती एक घंटे के भीतर, जो उसकी जिंदगी बचाने के लिए सबसे ज्यादा अहम समय है।

सड़क पर होने वाली मौतों को रोकना है मकसद
सूत्रों के मुताबिक, सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस बात को माना है कि सड़क हादसों के करीब 97 फीसदी मामलों में औसत मेडिकल खर्च लगभग 60 हजार रुपए तक आता है। बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जहां घायल को लंबे इलाज या आईसीयू केयर की जरूरत पड़ती है। साथ ही सड़क हादसों को लेकर हुई कई रिसर्च में ये भी पता चला है कि एक्सीडेंट के शुरुआती एक घंटे के भीतर अगर पीड़ित को तुरंत इलाज मिल जाए, तो सड़क पर होने वाली करीब आधी मौतों को रोका जा सकता है। इस पायलट प्रोग्राम को पुलिस, अस्पतालों और स्टेट हेल्थ एजेंसी के साथ मिलकर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी लागू करेगी।

किस तरह के हादसों में मिलेगा कैशलेस इलाज
इस पायलट प्रोग्राम के तहत सभी तरह की सड़कों पर गाड़ियों की वजह से होने वाले रोड एक्सीडेंट को कवर किया जाएगा। अगर केस ट्रॉमा या पॉली ट्रॉमा का है, तो आयुष्मान भारत पैकेज भी इस योजना में शामिल होगा। वहीं, योजना से सरकार के खजाने पर किसी तरह का बोझ नहीं पड़ेगा, क्योंकि घायल के इलाज का पूरा खर्च इंश्योरेंस कंपनियों से आएगा।

दरअसल इंश्योरेंस कंपनियां वाहन मालिक से जो प्रीमियम लेती हैं, ये खर्च उसी प्रीमियम का छोटा सा हिस्सा होगा। सड़क हादसे में घायल पीड़ित को तुरंत इलाज देने से मौतों की संख्या में कमी आएगी और मुआवजे का खर्च घटने से आखिरकार इसका फायदा इंश्योरेंस कंपनी को ही मिलेगा। पीड़ित का इलाज करने के बाद अस्पताल को इलाज की रकम मोटर व्हीकल एक्सीडेंट फंड के जरिए वापस दी जाएगी।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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