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देश में 15 साल में सबसे महंगा गेहूं का आटा!महंगाई बढ़ने का खतरा

नई दिल्ली

भारत में जहां गेहूं का आटा रोजमर्रा के भोजन का जरुरी हिस्सा है, वहां आटे की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने घरों का बजट बिगाड़ दिया है. ये समस्या इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि आटे की कीमतें 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं.

कान्टार रिपोर्ट के मुताबिक इस बढ़ोतरी के असर से सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण इलाके हो रहे हैं. यहां परिवारों के खर्चे बढ़ गए हैं और FMCG सेक्टर की ग्रोथ भी इससे धीमी पड़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में FMCG सेक्टर की ग्रोथ 4 फीसदी रही है, जो पिछले साल के मुकाबले धीमी है. इसी तरह शहरी क्षेत्रों में भी FMCG का विकास धीमा होकर 4.5 परसेंट रह गया है. खास बात है कि गेहूं के आटे का दाम इस धीमे विकास की सबसे बड़ी वजह बन गई है.

15 साल में सबसे महंगा गेहूं का आटा!
आटे की कीमतें दिसंबर में 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, ये कीमत जनवरी 2009 के बाद सबसे ज्यादा है. आटे की कीमतों में इस बढ़ोतरी के असर से खाद्य महंगाई पर नियंत्रण पाने की सरकार की कोशिशों को तगड़ा झटका लगने की आशंका है.

दरअसल, ग्रामीण भारत में आटे की बढ़ती कीमतों ने वहां के परिवारों का बजट बिगाड़ दिया है. ग्रामीण इलाकों में आटा लोगों के मासिक खर्च का बड़ा हिस्सा है. लेकिन गेहूं के आटे की कीमतों में आगे भी तेजी आने की आशंका क्योंकि गेहूं की कम पैदावार की वजह से सरकार के पास इसका स्टॉक भी कम है, जो डिमांड में बढ़ोतरी होने पर इसकी कीमतों में तेजी की वजह बन सकता है.

महंगाई से FMCG कंपनियां भी परेशान!
कुछ FMCG कंपनियों ने संकेत दिया है कि उन्हें कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से उनके ऊपर कई प्रॉडक्ट्स के दाम बढ़ाने का दबाव है. शहरी क्षेत्रों में खाद्य महंगाई दर 11.1 फीसदी की दर से बढ़ी है जो पिछले 15 महीनों में सबसे ज्यादा है. इस बढ़ोतरी का असर FMCG की कीमतों पर पड़ा है.

इस बढ़ोतरी को देखते हुए, अगले कुछ महीनों में FMCG कंपनियां कीमतों में और बढ़ोतरी कर सकती हैं. महंगाई की वजह से शहरी क्षेत्रों में प्रति घर औसत खर्च में भी बढ़ोतरी हुई है जो दो साल में 13 फीसदी बढ़ा है.  कुल मिलाकर, देश भर में खाद्य महंगाई का असर FMCG सेक्टर पर साफ देखा जा रहा है. हालांकि, सरकार और कंपनियां इसे नियंत्रित करने के प्रयासों में जुटी हुई हैं लेकिन इसके बावजूद महंगाई का दबाव लंबे समय तक बना रह सकता है.

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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