राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

राष्ट्रपति ने 17 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किये

नई दिल्ली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को 17 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार कला, संस्कृति और खेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण साहस और उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं। यह पुरस्कार सात श्रेणियों में दिए जाते हैं- कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा, खेल और पर्यावरण।

इस बार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने गए सात लड़कों और 10 लड़कियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के तहत बच्चों को एक पदक, प्रमाण पत्र और उद्धरण पुस्तिका प्रदान की गई। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बच्चों को खूब सारी बातें कीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी लिया हिस्सा
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में वीर बाल दिवस मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। यह एक राष्ट्रव्यापी उत्सव है, जिसमें बच्चों को भारत के भविष्य की नींव के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि युवाओं को सशक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। आज युवाओं को राष्ट्र के विकास से जुड़े हर क्षेत्र में अवसर मिल रहे हैं। हम हर क्षेत्र में नए बदलाव और चुनौतियां देख सकते हैं, इसलिए हमें अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की जरूरत है।

'तीन साल पहले हमारी सरकार ने शुरुआत की थी'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज हम तीसरे वीर बाल दिवस के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरूआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बना है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है।'

बच्चों को दिया सफलता का मंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, '26 दिसंबर का वो दिन, जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा। जब उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया गया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया… साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से विचलित नहीं हुए… वीर बाल दिवस का ये दिन हमें सिखात है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। देश के लिए किया गया हर काम वीरता है।'

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button