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जाए कब मानेगा लोहड़ी का पर्व? जानें सही तिथि और महत्व

लोहड़ी का त्योहार हर साल 13 जनवरी को हिंदुओं और सिखों द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लोहड़ी के त्योहार को उत्तर भारत में मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में गिना जाता है. लोहड़ी शीतकालीन संक्रांति की समाप्ति और रबी की फसलों की कटाई के प्रतीक के तौर पर मनाई जाती है. लोहड़ी के त्योहार पर हिंदू और सिख लोग नए वस्त्र पहनकर नाच गाना करते हैं.

साल 2025 में कब है लोहड़ी
हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. ऐसे में साल 2025 में भी लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को ही मनाई जाएगी. वहीं नए साल पर 14 जनवरी को 8 बजकर 44 मिनट पर सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश होगा. इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी.

लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का त्योहार भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित किया गया है. लोहड़ी पर किसान अपनी नई फसल को काटना शुरु करते हैं. इसलिए नई फसल का सबसे पहला भोग अग्नि देव को लगाया जाता है. इस दिन किसान भगवान से नए साल में भी अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं. पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि लोहड़ी के माध्यम से अग्नि देव को जो नई फसल का भोग लगाया जाता है, वो सभी देवताओं तक पहुंच जाता है. मान्यता ये भी है कि लोहड़ी पर भगवान सूर्य और अग्नि देव की पूजा कर उन्हें अच्छी फसल के लिए धन्यवाद दिया जाता है. साथ ही उनसे फसलों की अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना की जाती है.

कैसे मनाई जाती है लोहड़ी?
लोहड़ी के त्योहार पर रात को खुली जगह पर लकड़ी और उपलों का ढेर लागाया जाता है. फिर उस लकड़ी और उपलों का ढेर में आग लगा दी जाती है. इसके बाद वहां मौजूद लोग उस जलती हुई आग की परिक्रमा लगाते हैं. आग में नई फसल, तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि डाली जाती है. परिक्रमा के बाद लोग एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते हैं. महिलाएं लोक गीतों को गाती हैं. सभी लोग ढोल नगाड़े बजाकर नाचते हैं. लोहड़ी की आग के चारों ओर नृत्य किया जाता है.इस दिन पतंगों को उड़ाने की प्रथा है.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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