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महाशिवरात्रि, भोलेनाथ की कृपा पाने का सबसे शुभ अवसर, 11 घंटे भद्रा का साया, कब होगी पूजा, जाने विधि

नई दिल्ली
महाशिवरात्रि, भोलेनाथ की कृपा पाने का सबसे शुभ अवसर है। इस दिन की गई पूजा से वह प्रसन्न होते हैं और इतना ही नहीं भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के 'वैवाहिक वर्षगांठ' के रूप में मनाई जाती है, इसलिए इस दिन उपवास रखने से प्रेम जीवन में चल रही सभी समस्याएं समाप्त होती हैं और रिश्तों में प्रेम और मिठास बनी रहती हैं। वहीं इस बार 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। ज्योतिषियों की मानें तो इस साल महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया बना हुआ है। दरअसल, 26 फरवरी 2025 को प्रातः 11 बजकर 08 मिनट से रात्रि 10 बजकर 5 मिनट तक भद्रा साया बना रहेगा। लेकिन शिव कालों के काल महाकाल हैं, इसलिए भद्रा का उनकी पूजा पर कोई भी प्रभाव नहीं होगा और पूरे दिन शंकर जी की आराधना की जा सकती है। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह ही स्नान कर लें।
साफ वस्त्रों को धारण करें।
घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
पूजा के लिए साफ प्लेट, कटोरी व लोटा पूजा स्थल पर रख लें।
अब सबसे पहले दूध, दही और घी में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।

शिव जी को चंदन, मोली, पान, नारियल अर्पित करते जाएं।
इसके बाद उन्हें सुपारी, अक्षत पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा और फूल भी चढ़ाएं।
अब भोलेनाथ को बेर चढ़ाएं।
शिव-परिवार को फूलों की माला चढ़ाएं।
देसी घी का दीपक जलाकर महादेव के मंत्रों का जाप करें।
महाशिवरात्रि की कथा पढ़ें।
शिव चालीसा का पाठ करें।
अब आरती करें।
अंत में प्रसाद का वितरण कर दें।

चार प्रहर की पूजा में मंत्र जाप
प्रथम प्रहर का मंत्र- 'ह्रीं ईशानाय नमः'
दूसरे प्रहर मंत्र- 'ह्रीं अघोराय नम:'
तीसरे प्रहर मंत्र- 'ह्रीं वामदेवाय नमः'
चौथे प्रहर मंत्र- 'ह्रीं सद्योजाताय नमः

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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