झारखंड के बाजारों में लगे पलाश हर्बल गुलाल के स्टॉल

झारखंड
होली नजदीक आ रही है। रंगों का त्योहार होली पर एक-दूसरे को गुलाल लगाया जाता है, लेकिन कभी-कभी गुलाब से त्वचा पर रिएक्शन हो जाता है जिससे लोग रंगों का इस्तेमाल करने से डरते हैं। वहीं, झारखंड में महिलाओं ने होली के लिए प्राकृतिक विधि से हर्बल गुलाल बनाकर तैयार किया है।
दरअसल, इस साल भी राज्य के बाजारों में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के अंतर्गत सखी मंडल की महिलाओं ने पलाश हर्बल गुलाल बनाकर तैयार किया है। विभिन्न जिलों की हजारों महिला उद्यमियों द्वारा इस हर्बल गुलाल का उत्पादन किया जा रहा है। आज से 13 मार्च 2025 तक रांची, हजारीबाग, पलामू, चतरा, रामगढ़, खूंटी और लोहरदगा में पलाश हर्बल गुलाल बिक्री स्टॉल का शुभारंभ किया गया। सभी जिलों के प्रमुख केंद्रों पर स्टॉल लगाए गए हैं। पलाश हर्बल गुलाल के अलावा यहां रागी लड्डू, हैंडमेड चॉकलेट, कुकीज़ और अन्य उत्पादों की भी बिक्री की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार के प्रमुख कार्यालय, एफएफपी भवन, सचिवालय (धुर्वा), झारखंड उच्च न्यायालय परिसर, प्रमुख व्यावसायिक स्थल, रांची मॉल, न्यूक्लियस मॉल, स्प्रिंग सिटी मॉल (हिनू), डोरंडा बाजार, अटल वेंडर मार्केट, पैंटालूंस (लालपुर), रिलायंस मॉल (कांके रोड), मोरहाबादी मैदान, एजी मोड़ आदि जगहों पर स्टॉल लगाए गए हैं।
हर्बल गुलाल में हैं ये खास चीजें
सखी मंडल की महिलाओं ने इस हर्बल गुलाल को पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से तैयार किया है, जो त्वचा के लिए सुरक्षित है। इसमें सूखे हुए पलाश के फूलों का प्रयोग किया गया है। इसमें हरा रंग बनाने हेतु सूखा हुआ पालक साग, गुलाबी रंग बनाने हेतु चुकंदर, पीला रंग बनाने हेतु हल्दी एवं फूल, लाल रंग के लिए फूल का प्रयोग किया गया है और नीले रंग के लिए सिंदूर समेत अन्य प्राकृतिक फूलों और पत्तियों का उपयोग किया गया जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इसे सुगंधित बनाने के लिए प्राकृतिक एसेंस मिलाए गए हैं। इस प्रकार के गुलाल त्वचा को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचता। राज्य की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन की ओर बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए इस अभियान से हजारों ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।