धार्मिक

विवाह से पूर्व ऐसे भेजें गणपति को निमंत्रण, निर्विघ्न होंगे सब काम

प्रथमपूज्य भगवान गणेश से ही विवाह कार्यक्रम की शुरुआत होती है। इसलिए पहला निमंत्रण पत्र भगवान गणेश को ही भेजते हैं। निमंत्रण पत्र भेजने से पूर्व पूजन भी किया जाता है।

इस पूजा में दूल्हा अथवा दुल्हन, उसके माता-पिता, साथ में एक विनायक तथा पंडितजी, जो विधि से पूजा संपन्न कराते हैं, शामिल होते हैं। तब से ही विवाह कार्य एवं सभी प्रकार के रीति-रिवाज शुरू हो जाते हैं। इसमें सात प्रकार की वस्तुएं जौ, मूंग, हल्दी की गांठ, नाड़ा, चांदी की घूघरी, कोयला, दो सूपड़े, दो मूसल और औढना रखे जाते हैं।

महिलाएं गणपति के गीत गाती हैं। इसके बाद विवाह के अन्य गीत शुरू किए जाते हैं। गणपति निमंत्रण में इस्तेमाल की जानी वाली प्रमुख वस्तुएं ये हैं- पत्रिका, कंकु, चावल, हल्दी, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मीठा तेल, बरक, छोटी सुपारी, हार-फूल, पान, नारियल, नाड़ा, मोतीचूर के लड्डू, अगरबत्ती, कपूर और जल का कलश।

गणेशजी की विदाई:- विवाह का कार्य निर्विघ्न संपन्न होने के बाद गणेशजी की विदाई का कार्यक्रम होता है। सामान्यतः विवाह के बाद आने वाले बुधवार को ही यह छोटा-सा कार्यक्रम पारिवारिक रिश्तेदारों के बीच होता है। इसमें करीबी रिश्तेदारों को भोजन करवाकर विवाह की भेंट प्रदान की जाती है। इसके साथ ही गणपति को विधिपूर्वक विदाई दी जाती है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

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