राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

एमपी हाईकोर्ट ने महिला को ‘आदर्श भारतीय पत्नी’ कहा, 20 साल अलग रहने वाले पति को भी सहन किया

भोपाल 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ एक पति की अपील सुन रही थी, जिसमें उसने निचली अदालत के तलाक से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी. पति-पत्नी की शादी गांव पिपलाडा, इंदौर में हुई थी और 2002 में बेटे का जन्म हुआ था.

पति का आरोप था कि पत्नी उसे पसंद नहीं करती, उस पर शराब पीने और अन्य महिलाओं से संबंध होने के आरोप लगाती, गर्भावस्था में खुश नहीं थी और बच्चे के जन्म के बाद मायके चली गई. पत्नी ने इन आरोपों को झूठा बताया और कहा कि पति का एक महिला सहकर्मी से प्रेम संबंध था, जबकि वह हमेशा वैवाहिक दायित्व निभाने के लिए तैयार रही.

पति ने पत्नी पर लगाए गंभीर आरोप

कोर्ट ने पाया कि पति के दूर रहने के बाद भी पत्नी ससुराल में सास-ससुर और देवर-ननद के साथ संयुक्त परिवार में रही. उसने कभी घर नहीं छोड़ा, न ही पति या उसके परिवार के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज किया. उसने अपने विवाह के प्रतीक मंगलसूत्र और सिंदूर नहीं त्यागे और अपने कर्तव्यों को निभाती रही.

पत्नी ने विपरीत परिस्थितियों में दिखाया धैर्य

कोर्ट ने कहा कि यह पत्नी आदर्श भारतीय नारी के गुणों का प्रतीक है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य, मर्यादा और संस्कार बनाए रखती है. कोर्ट ने तलाक की याचिका खारिज करते हुए पति को अपने उपेक्षित और अनादरपूर्ण व्यवहार से लाभ लेने से रोका.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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