13 में 9 नए चेहरे मैदान में, दो दिग्गजों के बीच कांटे की टक्कर

घाटशिला
घाटशिला विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को मतदान है। सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। वहीं, कुल 13 प्रत्याशी घाटशिला विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। 13 में से 9 प्रत्याशी पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें एक महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं।
2 प्रत्याशियों के बीच बड़ा मुकाबला
ये नए उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर सक्रिय रहे हैं, विकास-विकल्प, सामाजिक कार्य या जनसंपर्क के माध्यम से पहचान बना रहे हैं और अब राजनीतिक पारी में भाग ले रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला फिलहाल सत्तारूढ़ झामुमो के सोमेश चंद्र सोरेन और भाजपा के बाबूलाल सोरेन के बीच बताया जा रहा है। एक तरफ झामुमो प्रत्याशी सोमेश सोरेन अपने दिवंगत पिता रामदास सोरेन की विरासत पर भरोसा जता रहे है तो दूसरी ओर, भाजपा नेता चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन मोदी सरकार की योजनाओं के दम पर मैदान में उतरे हैं, लेकिन झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के प्रत्याशी रामदास मुर्मू ने मैदान में उतरकर इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में नए उम्मीदवारों के शामिल होने से मत का विभाजन अधिक होगा और पुरानी राजनीतिक तस्वीर बदलने की संभावना बढ़ रही है। इस बार चुनावी परिणाम तय होंगे इस बात पर कि जनता पुरानी पार्टियों एवं नेताओं पर भरोसा बनाए रखेगी या नए विकल्प के पक्ष में जाए।
बता दें कि झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के आकस्मिक निधन से खाली हुई इस सीट पर अब उनके बेटे सोमेश चंद्र सोरेन मैदान में हैं और भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन ताल ठोक रहे हैं। दोनों ही संताल समाज से आते हैं। इसलिए संभावना है कि आदिवासी मत दोनों तरफ जाएगा। भाजपा के अपने सहयोगी लोजपा के सहारे चार प्रतिशत दलित मतों को साथ लाने की कोशिश में हैं। झामुमो गठबंधन के मुस्लिम मंत्री भी अल्पसंख्यक मतों को अपने पाले में लाने के लिए लगे हैं, लेकिन भाजपा आदिवासी मतों के अलावा कुड़मी, पिछड़ी और अन्य दलित मतों पर नजर रख रही है। चंपाई के गहरे मित्र विद्युतवरण महतो की भी इस क्षेत्र में काफी पकड़ है। वे तीन बार से जमशेदपुर लोकसभा के सांसद भी हैं।
ज्ञात हो कि रामदास सोरेन एक साल से ज्यादा समय से किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका 15 अगस्त को एक अस्पताल में निधन हो गया था। इसी के कारण घाटशिला सीट पर उपचुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी।




