राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

जय फॉर्मूला से नई रणनीति: त्रिशूल के सहारे सेना की खास तैयारी का राज़

नई दिल्ली 
भारतीय सेना की दक्षिणी कमांड एक खास सैन्य अभ्यास में जुटी हुई है। इस सैन्य अभ्यास का नाम त्रिशूल दिया गया है। इसका मकसद तीनों सेनाओं के बीच आपसी समन्वय को बढ़ावा देना है। इस सैन्य अभ्यास का नाम दिया गया है जय (JAI)। इसका मलतब है जॉइंटनेस यानी संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन यानी नवाचार। अधिकारियों के मुताबिक यह भारतीय सशस्त्र बलों की प्रौद्योगिकी-सक्षमता और भविष्य के लिए तैयार बल के निर्माण की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

सभी क्षेत्रों पर बढ़त बनाने का मकसद
त्रिशूल अभ्यास मिशन दिखाता है कि सशस्त्र बलों की बहु-क्षेत्रीय क्षमताएं बढ़ रही हैं। साथ ही रक्षा में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित है। इस अभ्यास का मकसद कई क्षेत्रों में सेंट्रलाइज व्यवस्था को मजबूत करना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, साइबर, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन संचालन, खुफिया, निगरानी और पहचान के साथ-साथ वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग शामिल हैं। यह अभ्यास स्थल, समुद्र और वायु के माध्यम से निर्बाध एकीकृत सहयोग के जरिए फिजिकल और वर्चुअल क्षेत्रों में समान रूप से हावी होने की तैयारी है।

ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव भी शामिल
ड्रोन और मानवरहित प्रणालियों का यह समावेश भारत की युद्ध नीति को नेटवर्क-केंद्रित और ऑटोनोमस युद्ध की दिशा में आगे बढ़ा रहा है। यहां पर सूचना, गति और सटीकता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भविष्य के युद्धों की तैयारी,अभ्यास त्रिशूल में हाल के संघर्षों और अभियानों, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर से मिले अनुभवों को भी इसमें शामिल किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी करना है। इन युद्धों में ड्रोन, साइबर उपकरण और अंतरिक्ष संसाधन पारंपरिक सेनाओं के साथ मिलकर काम करेंगे।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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