राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

महिलाओं के लिए 33% आरक्षण पर सुनवाई: SC ने केंद्र को नोटिस भेजा

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून तत्काल लागू करने की मांग की गई है। जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सरकार से ताजा परिसीमन अभ्यास का इंतजार किए बिना महिला आरक्षण कानून को लागू करने के लिए जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान बेंच ने टिप्पणी की, 'संविधान की प्रस्तावना कहती है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक और सामाजिक समानता का अधिकार है। इस देश में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक कौन है? वह महिला है… लगभग 48 प्रतिशत। यह महिलाओं की राजनीतिक समानता का मामला है।'

याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी महिलाओं को प्रतिनिधित्व के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिवक्ता की दलील सुनकर बेंच ने कहा, 'परिसीमन अभ्यास कब होना है? सरकार को नोटिस जारी करें। कानून का प्रवर्तन कार्यपालिका की जिम्मेदारी है। हम कोई आदेश जारी नहीं कर सकते। प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें। केंद्र को तामील कराएं।'

नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी

याचिका में उस विशेष प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है, जिसमें जनगणना और उसके बाद परिसीमन को आरक्षण लागू करने की पूर्व शर्त बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने तत्काल लागू करने की मांग की है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम को 28 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। संसद के विशेष सत्र में यह कानून पारित किया गया था। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव जया ठाकुर ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने वाले इस कानून को लागू करने की मांग की है। उन्होंने 2023 में ही याचिका दायर की थी और 2024 आम चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू करने की गुहार लगाई थी।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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