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बिहार चुनाव के दूसरे चरण में सत्ता की कसौटी, 12 मंत्रियों की होगी अग्निपरीक्षा

पटना.

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होना है और यह चरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए असली अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहा है. इस चरण में 12 मंत्रियों की साख दांव पर है. खास बात यह है कि इनमें कई दिग्गज लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं तो कुछ नए चेहरे हैं जिन्होंने कम समय में सत्ता तक सफर तय किया. जिन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है इनमें ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल से, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा झंझारपुर से, परिवहन मंत्री शीला मंडल फुलपरास से, पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू छातापुर से, गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णानंदन पासवान हरसिद्धि से, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल सिकटी से, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह धमदाहा से, भवन निर्माण मंत्री जयंत राज अमरपुर से, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार गया टाउन से, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह चकाई से, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान चैनपुर से और पशुपालन मंत्री रेणु देवी बेतिया से शामिल हैं.

विजेंद्र प्रसाद यादव: नीतीश सरकार के वरिष्ठतम मंत्री

ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव इस बार लगातार नौवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. वे नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद और वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं. उन्होंने कहा – 24 घंटे बिजली, हर घर नल-जल, सड़क और पुलिया का जाल हमने बिछाया है. जनता मालिक है और जनता विकास पर भरोसा करेगी.

डॉ. प्रेम कुमार: 8 बार के MLA, एंटी-इंकम्बेंसी की चुनौती

सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार गया टाउन से लगातार आठ बार जीत चुके हैं. पर्यटन, सड़क और शिक्षा पर उनके काम को सराहा गया, लेकिन इस बार एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर चुनौती बन सकता है. वे कहते हैं-जनता काम को पहचानती है, विकास की राजनीति पर ही भरोसा करेगी.

रेणु देवी: पूर्व डिप्टी CM अब पशुपालन मंत्री, साख की लड़ाई

पूर्व उपमुख्यमंत्री और मौजूदा पशुपालन मंत्री रेणु देवी बीजेपी की महिला शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं. दुर्गा वाहिनी से राजनीति की शुरुआत कर उपमुख्यमंत्री तक पहुंची रेणु देवी अब अपने गढ़ में साख की परीक्षा में हैं. वे कहती हैं- मैंने सेवा की राजनीति की है, पद की नहीं. जनता ने हमेशा स्नेह दिया है और इस बार भी वही आशीर्वाद मिलेगा.

नीतीश मिश्रा: विरासत और विकास मॉडल की परीक्षा

पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा, उद्योग मंत्री के रूप में सरकार के योजनागत विकास की तस्वीर पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा-पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए हमने उद्यम और निवेश बढ़ाने पर ध्यान दिया है. जनता भरोसा रखेगी.

शीला मंडल: स्त्री शक्ति का फेस, कर्पूरी ठाकुर की सीट

परिवहन मंत्री शीला मंडल फुलपरास से दोबारा चुनाव लड़ रही हैं. 2020 में उन्होंने कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को 10,966 वोटों से हराया था. दिलचस्प है कि 1977 में कर्पूरी ठाकुर इसी सीट से मुख्यमंत्री बने थे. शीला मंडल कहती हैं-फुलपरास का नाम अब महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ गया है. हमने जो काम किया है उस पर जनता भरोसा करेगी.

नीरज सिंह बबलू: दबंग छवि और बाढ़ प्रबंधन पर परीक्षा

पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू लगातार जीतते रहे हैं. अपने क्षेत्र में वे विकास और सख्त प्रशासन के लिए जाने जाते हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद उन्होंने राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाई है. बबलू का कहना है-हमने नल-जल, सड़क और बिजली की दिशा में ठोस काम किया है.

कृष्णानंदन पासवान: गन्ना किसानों की उम्मीदों की कसौटी

गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णानंदन पासवान हरसिद्धि (SC) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. यह इलाका गन्ना किसानों का केंद्र माना जाता है. पासवान का कहना है- गन्ना किसानों की समस्याओं के समाधान और मिलों को पुनर्जीवित करने पर हमने काम किया है. जनता सब जानती है.

विजय कुमार मंडल: आपदा प्रबंधन मंत्री की साख दांव पर

भागलपुर जिले की सिटी सीट से आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल मैदान में हैं. बाढ़ और राहत कार्यों में इनकी भूमिका अहम रही है. मंडल कहते हैं-आपदा के समय हमने राहत और पुनर्वास का मजबूत तंत्र बनाया. जनता हमारी प्रतिबद्धता देख रही है.

लेसी सिंह: नीतीश की ‘शक्ति स्तंभ’, छठी जीत की कोशिश

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे भरोसेमंद महिला सहयोगियों में से हैं. धमदाहा से वे लगातार पांच बार जीत चुकी हैं और इस बार छठी बार मैदान में हैं. उनका कहना है-महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के मुद्दे पर हमने काम किया है, वही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है.

जयंत राज: युवा कुशवाहा चेहरा और विकास की राजनीति

भवन निर्माण मंत्री जयंत राज अमरपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. वे कुशवाहा समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं और खुद को “काम करने वाला नेता” बताते हैं. उनका कहना है-प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों के विकास कार्यों से जनता प्रभावित है. इस बार भी विश्वास मिलेगा.

सुमित कुमार सिंह: निर्दलीय से बने मंत्री, अब JDU से टिकट

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह पिछली बार निर्दलीय जीते थे, लेकिन अब जदयू से चुनाव मैदान में हैं. दिग्गज समाजवादी नेता नरेंद्र सिंह के बेटे हैं. इस बार उनके खिलाफ जदयू के ही 2020 के प्रत्याशी संजय प्रसाद निर्दलीय मैदान में हैं. सुमित का कहना है-हमारे परिवार की राजनीति सेवा पर आधारित रही है, जनता उस पर भरोसा करेगी.

जमा खान: एकमात्र मुस्लिम मंत्री, विकास के भरोसे मैदान में

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान पिछली बार बसपा से जीते थे, अब जदयू से मैदान में हैं. उनका कहना है- हम भाईचारे और विकास की राजनीति करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम पर वोट मांग रहे हैं.

बिहार चुनाव में पूर्व मंत्रियों की फौज भी मैदान में

इस चरण में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी (सिकंदरा), पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद (कटिहार) समेत एक दर्जन से अधिक पूर्व मंत्री मैदान में हैं. भाजपा से सुनील कुमार पिंटू, कृष्ण कुमार ऋषि, विनोद नारायण झा, राम नारायण मंडल, जदयू से दामोदर रावत, आरजेडी से जयप्रकाश नारायण यादव, बीमा भारती, समीर महासेठ, कुमार सर्वजीत, शाहनवाज आलम, बृज किशोर बिंद, हम से अनिल कुमार और लोजपा (रामविलास) से मुरारी प्रसाद गौतम की साख भी दांव पर है.

14 नवंबर को फैसले का दिन, तय होगी बिहार की दिशा

राजनीति के जानकारों का मानना है कि जिस तरह पहले चरण में एंटी-इंकम्बेंसी की फुसफुसाहट दिखी थी, दूसरे चरण में वही परीक्षा नीतीश सरकार के इन 12 मंत्रियों के लिए असली चुनौती है. सत्ता की राह अब मतदाताओं के फैसले से होकर निकलेगी और यह तय करेगा कि नीतीश कुमार की विकास रथ की रफ्तार बरकरार रहेगी या नहीं.

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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