राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत और स्वभिमान का उत्सव

जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर

जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत और स्वभिमान का उत्सव

भोपाल

भारत एक सांस्कृतिक विविधता संपन्न देश है। यहां की आदि संस्कृति अत्यंत समृद्ध है। आज देश भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जन्म जयंती मना रहा है। हम सब इस अवसर पर गर्व से भरे हैं। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश से जनजातीय गौरव दिवस की शुरूआत कर इस अवसर को और भी गरिमापूर्ण बना दिया है।

भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे वीर योद्धा और समाज-सुधारक हुए हैं, जिन्होंने जनजातीय समाज की उन्नति, गरिमा और उनके अधिकारों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। हर साल 15 नवम्बर को उनकी जयंती पर राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है। यह जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत और स्वाभिमान का उत्सव है। जनजातीय गौरव दिवस का महत्व केवल भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को याद करने तक सीमित नहीं है। यह जनजातीय समाज की सांस्कृतिक पहचान और देशज ज्ञान की विरासत का जश्न मनाने का भी दिन है। हम जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर और उपलब्धियों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं। भगवान बिरसा मुंडा का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। नई पीढ़ी को साहस, संघर्ष और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध होने का संदेश देता है।

भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के उलीहातू गांव के साधारण मुंडा परिवार में हुआ था। उनका जीवन कठिनाइयों से भरा था। उन्हें निरंतर आर्थिक संघर्षों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा लागू जमींदारी प्रथा, धर्मांतरण और जनजातीय अस्मिता पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया।

उलगुलान विद्रोह का नेतृत्व

भगवान बिरसा मुंडा ने "उलगुलान" नामक जनजातीय विद्रोह का नेतृत्व किया। अंग्रेजों के खिलाफ यह महान विद्रोह था। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा लागू भूमि हड़पने की नीतियों, जबरन धर्मांतरण और जनजातियों की पारम्परिक जीवनशैली में दखल देने वाले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई। भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में इस आंदोलन ने जनक्रांति की लहर पैदा कर दी थी। जनजातीय समुदाय ने उन्हें "धरती आबा" के रूप में सम्मानित किया।

महान समाज सुधारक

भगवान बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता संग्राम योद्धा ही नहीं, बल्कि एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जनजातीय समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों अंध-विश्वास, जाति-भेदभाव, नशाखोरी, जातीय संघर्ष के खिलाफ जागरूकता फैलाई और शिक्षा का महत्व समझाया। उन्हें एकता में रहने का संदेश दिया। बिरसा मुंडा ने "बिरसाइत" नामक एक धार्मिक आंदोलन भी चलाया, जिसमें उन्होंने आचार-विचार की शुचिता, सादगी और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। भगवान बिरसा मुंडा मात्र 24 साल 7 महीने की अल्पायु में 9 जून 1900 को वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी स्मृति आज भी जनजातीय समाज के दिलों में जीवित है।

विकास में भागीदारी

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश ने जनजातीय विकास के अभूतपूर्व काम किए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आजीविका जैसे क्षेत्रों में मध्य प्रदेश के कार्यों की राष्ट्रव्यापी सराहना हुई है। समग्र जनजातीय विकास की पीएम जनमन योजना की अवधारणा की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। यह प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही परिणाम है। उन्होंने जनजाति समुदाय के गुमनाम वीर योद्धाओं को समाज के सामने लाकर खड़ा किया और उनकी स्मृति को स्थाई बनाने का काम किया। पीएम जनमन योजना और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना जैसी क्रांतिकारी पहल बिरसा मुंडा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

हाल में नई दिल्ली में संपन्न ट्राइबल बिजनेस कॉन्क्लेव में केंद्र सरकार ने जनजाति समुदाय के कलाकारों के कला उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाने का निर्णय लिया है। जनजातीय समुदाय पारंपरिक ज्ञान, कला और संस्कृति से समृद्ध है। मध्यप्रदेश में जनजाति समुदायों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का उल्लेखनीय काम हुआ है। पेसा कानून में जनजातीय क्षेत्रों की ग्राम सभा सशक्त हुई हैं। वे अपने निर्णय ले रही हैं और अपनी विकास योजनाएं बना रही हैं। शैक्षणिक सुविधाओं में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। किसी समय भौगोलिक रूप से दूरस्थ बसे जनजातीय गांवों का अब मुख्य सड़कों से संपर्क हो गया है। वे अब शहरी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गए हैं। जनजातीय बच्चों को उच्च शिक्षा की सुविधाएं मिली है। वे मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। विदेशों में भी उच्च अध्ययन के लिए जा रहे हैं। राज्य शासन के प्रयासों से अब जनजातीय परिवारों में आर्थ‍िक उदयमिता बढ़ रही है। वे विकास योजनाओं में उत्साहपूर्वक भागीदारी कर रहे हैं।

राज्य सरकार जनजातीय महानायकों की स्मृति में स्मारकों और संग्रहालयों का निर्माण करा रही है। छिंदवाड़ा में बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय और जबलपुर में राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुख्य संग्रहालय बनाया गया। जबलपुर एयर पोर्ट और मदन महल फ्लायओवर रानी दुर्गावती के नमा पर किया गया। पचमढ़ी अभयारण्य का नाम राजा भभूत सिंह के नाम पर, रानी कमलापति रेल्वे स्टेशन भोपाल, टाट्या भील विश्वविद्यालय खरगौन, राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा कुछ उदाहरण है। हम जनजातीय गौरव दिवस पर भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति को नमन करते हैं। साथ उन सभी जनजातीय महानायकों का भी स्मरण करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय योगदान दिया।

• डॉ. कुंवर विजय शाह

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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