वायु प्रदूषण संकट: केंद्र ने राज्यों को चेस्ट क्लीनिक बनाने और डॉक्टरों की दो घंटे अनिवार्य ड्यूटी का आदेश दिया

नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है। इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से प्रभावी ढंग से निपटना है। केंद्र ने निर्देश दिया है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों में 'चेस्ट क्लीनिक' (Chest Clinics) का संचालन सुनिश्चित किया जाए।
'राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम' के तहत पहल
यह पहल राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCC H H) के तहत की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा है कि प्रदूषण बढ़ने के कारण श्वसन (Respiratory) और हृदय (Cardiovascular) संबंधी बीमारियों के मामलों में तेज़ी आती है इसलिए अस्पतालों को विशेष तैयारी रखनी होगी।
क्लीनिकों के संचालन पर मुख्य निर्देश:
सक्रियता की अवधि: आमतौर पर जिन महीनों में वायु प्रदूषण सबसे अधिक होता है (यानी सितंबर से मार्च) उन महीनों के दौरान इन क्लीनिकों से प्रतिदिन कम-से-कम दो घंटे तक काम करने की अपेक्षा की जाती है।
स्थापना स्थल: ये चेस्ट क्लीनिक शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHCs) जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्थापित किए जा सकते हैं।
कवरेज: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत ऐसे सभी क्लीनिकों को कवर किया जाएगा।
रोगियों की जांच, उपचार और रिकॉर्ड रखना अनिवार्य
परामर्श में स्पष्ट किया गया है कि इन चेस्ट क्लीनिकों का मुख्य कार्य प्रदूषण के कारण बढ़े श्वसन और हृदय रोगों से पीड़ित रोगियों की जांच करना और उनका उपचार करना होगा।
डिजिटल रिकॉर्ड: राज्य या राष्ट्रीय स्तर के डिजिटल उपकरणों जैसे कि एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (IHIP) के माध्यम से इन रोगियों का व्यवस्थित रिकॉर्ड बनाए रखा जाए।
उच्च जोखिम वाले रोगियों की पहचान: प्रदूषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले उच्च जोखिम वाले रोगियों (High-risk patients) की पहचान की जाए और उनका एक रजिस्टर बनाया जाए।
सामुदायिक समन्वय: ऐसे उच्च जोखिम वाले लोगों का विवरण संबंधित ब्लॉक की आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम (ANMs) और सीएचओ (CHOs) के साथ भी साझा किया जाए ताकि सामुदायिक स्तर पर भी देखभाल हो सके।
स्टाफ को प्रशिक्षण और तैयारियों पर ज़ोर
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि सर्दियों के दौरान देश के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता अक्सर 'खराब' (Poor) से लेकर 'गंभीर' (Severe) स्तर तक पहुंच जाती है जो एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती पैदा करती है। परामर्श में डॉक्टरों और कर्मचारियों को श्वसन और हृदय संबंधी मामलों में बेहतर उपचार और देखभाल प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण (Training) देने पर भी विशेष ज़ोर दिया गया है। स्वास्थ्य सचिव ने अपने पत्र का समापन इस बात पर ज़ोर देते हुए किया कि मिलकर काम करने से हम एक स्वस्थ, स्वच्छ और अधिक लचीले इकोसिस्टम की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।




