राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

राबड़ी देवी के बंगले का खेल: तेज प्रताप यादव के स्थानांतरण के बाद राबड़ी को खाली करना पड़ेगा

पटना
बिहार में सत्ता परिवर्तन का असर अब नेताओं के सरकारी आवासों पर दिखने लगा है. नई सरकार के गठन के बाद भवन निर्माण विभाग ने पुराने आवंटन की समीक्षा शुरू कर दी है और कई नेताओं को अपने सरकारी घर खाली करने पड़ रहे हैं. इस सूची में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे तेज प्रताप यादव का नाम भी शामिल हो गया है. बता दें कि तेज प्रताप यादव बिहार सरकार में पूर्व मंत्री भी रहे हैं और फिलहाल पटना के 26 M स्ट्रैंड रोड वाले आवास में रह रहे थे. यह बंगला उन्हें हसनपुर से जीत के बाद 2020 में आवंटित किया गया था. लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सीट बदली और महुआ से चुनाव लड़ा. परिणाम उनके पक्ष में नहीं गया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. विधायक पद समाप्त होने के साथ अब उनका आवास भी उनसे वापस ले लिया गया है और इसे नई सरकार में मंत्री बने लखिन्दर कुमार रौशन को आवंटित कर दिया गया है.

राबड़ी देवी को भी बदलना होगा आवास

तेज प्रताप के बाद उनकी मां और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर भी आवास बदलाव का निर्देश लागू हुआ है. वे लगभग दो दशकों से 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी बंगले में रह रही थीं. हालांकि अब बतौर नेता प्रतिपक्ष उन्हें नया आवास दिया जा रहा है. भवन निर्माण विभाग के आदेश के अनुसार उन्हें हार्डिंग रोड स्थित केंद्रीय पूल आवास में बंगला नंबर 39 नए आधिकारिक निवास के रूप में आवंटित किया गया है.

नीतिगत नियमों के तहत हो रही कार्रवाई

भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नियम आधारित है. पद और दायित्व बदलने पर आवास पुनः आवंटित करना अनिवार्य होता है. हाल ही में जारी सूची में मंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं के लिए नए आवास तय किए गए हैं. साफ है कि बिहार की राजनीति में सत्ता परिवर्तन का प्रभाव अब मिलने वाली सरकारी सुविधाओं तक पहुंच चुका है.

राबड़ी देवी को बंगला खाली करना पड़ेगा 

. सत्ता परिवर्तन के बाद बिहार में केवल मंत्रिपरिषद ही नहीं बदला, बल्कि अब नेताओं के सरकारी ठिकानों का पता भी बदलने लगा है. राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग ने फैसला लिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगला छोड़ना पड़ेगा. प्रशासन की ओर से इसके निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं और उनके लिए नया बंगला भी आवंटित कर दिया गया है. बता दें कि राबड़ी देवी विधान परिषद् में विपक्ष की नेता हैं और करीब 16 जनवरी 2006 से 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगले में रह रही थीं. अब सरकारी आदेश के तहत उन्हें हार्डिंग रोड स्थित केंद्रीय पूल आवास बंगला नंबर 39 में स्थानांतरित किए जाने का निर्णय हुआ है. भवन निर्माण विभाग ने कहा है कि विधान परिषद् में विपक्ष के नेता के लिए यह बंगला निर्धारित किया गया है. ऐसे में सवाल है कि जब वह पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं और वर्तमान में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी तो उन्हें बंगला क्यों खाली करना पड़ा. दरअसल, इसके पीछे की वजह तेजस्वी यादव का आठ साल पहले उठाया गया वह कदम है जो इस फैसले का कारण बना है.
जो लड़ाई शुरू की थी, वही भारी पड़ी

राबड़ी देवी के बंगले को लेकर राजद समर्थकों में यह चर्चा है कि राबड़ी देवी के पता में बदला होना सत्ता में बदलाव का असर है, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी आदेश की जड़ अदालत का वह फैसला है जिसे तेजस्वी यादव ने खुद आगे बढ़ाया था. वास्तविकता तो यह है कि जिस ‘सिस्टम सुधार’ की लड़ाई तेजस्वी यादव ने लड़ी आज वही सिस्टम उनके परिवार के लिए कड़ा साबित हो गया है. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड का सरकारी बंगला खाली करना पड़ेगा तो इसकी वजह मौजूदा नीतीश सरकार नहीं, बल्कि उनके बेटे तेजस्वी यादव द्वारा दायर वह याचिका है जिसके आधार पर पटना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने की व्यवस्था खत्म कर दी थी.
कब और कैसे मिला था 10, सर्कुलर रोड?

राबड़ी देवी जिस बंगले में वर्तमान में रह रही हैं, वह उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते आवंटित किया गया था. बता दें कि वर्ष 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में लौटने के बाद एक बड़ा निर्णय लिया गया था, वह यह कि बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं मिलेंगी. इसी व्यवस्था के तहत यह आवास राबड़ी देवी को मिला और वे 16 जनवरी 2006 से यहां रह रही हैं. लेकिन, जब बिहार की सियासत आगे बढ़ी तो तेजस्वी यादव के एक कदम ने इसके नियम बदल दिए.
तेजस्वी का केस जिसने परंपरा बदल दी

मामला 2017 का है. तेजस्वी यादव उस समय बिहार के उपमुख्यमंत्री थे और 5, देशरत्न मार्ग स्थित आधिकारिक आवास में रहते थे. लेकिन जब नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होकर बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाई, तब तेजस्वी यादव को बंगला खाली करने का आदेश दिया गया. सरकार की ओर से कहा गया कि वह बंगला उपमुख्यमंत्री के पद का है, न कि किसी व्यक्ति का. सरकारी नोटिस के बाद तेजस्वी यादव हाईकोर्ट पहुंचे और दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों और उच्च पदों से जुड़े लोगों के आवास और सुविधाओं में नियमों का स्पष्ट निर्धारण होना चाहिए.
हाईकोर्ट की जांच और बड़ा खुलासा

हाईकोर्ट की डबल बेंच में मुख्य न्यायाधीश एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्रा ने मामले की सुनवाई के दौरान भवन निर्माण विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी. दस्तावेजों में खुलासा हुआ कि- 2010 में सरकारी नियमों में बदलाव किया गया था और उसके बाद राबड़ी देवी, लालू यादव, जीतन राम मांझी, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह को आजीवन सरकारी आवास, सुरक्षा और स्टाफ की सुविधा दी गई थी. यही वह बिंदु था जिससे अदालत असहमत हुई.
2019 का वो फैसला जिसका असर अब दिख रहा

19 फरवरी 2019 को पटना हाईकोर्ट ने तेजस्वी यादव की याचिका खारिज करते हुए उनका आवास खाली कराने का आदेश दिया. लेकिन इसके साथ ही अदालत ने एक बड़ा बदलाव लागू किया- पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और सुविधाएं देने की व्यवस्था असंवैधानिक है. यानी अब सरकारी आवास पद से जुड़े होंगे, व्यक्ति से नहीं.
अब राबड़ी और तेजस्वी दोनों बदलेंगे पता

हाईकोर्ट के उसी आदेश के आधार पर अब राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड छोड़ना होगा और उन्हें नया आवास 39, हार्डिंग रोड दिया जा रहा है, क्योंकि वे अब विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं. तेजस्वी खुद इस समय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, इसलिए उन्हें एक पोलो रोड वाला बंगला मिला है, लेकिन वे अभी भी 10, सर्कुलर रोड में ही रहते हैं और ऐसे में अब उन्हें भी औपचारिक रूप से अपना पता बदलना होगा.
कानूनी फैसला और राजनीतिक विडंबना

बिहार में राजनीतिक फैसले अक्सर सत्ता परिवर्तन के साथ बदलते हैं, लेकिन इस बार कहानी अलग है. यह बदलाव राजनीतिक बदले या सरकारी आदेश का नतीजा नहीं, बल्कि एक ऐसे न्यायिक फैसले का परिणाम है, जिसे शुरू करने वाले खुद तेजस्वी यादव थे. अब यह कहना गलत नहीं होगा कि- राजनीति में फैसले समय के हिसाब से लिए जाते हैं, लेकिन उनका असर समय बदलने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ता.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button