पाकिस्तानी जासूस पकड़ाया: CID इंटेलिजेंस को मिली 10 दिन की रिमांड मंजूरी

नई दिल्ली
सोशल मीडिया के जरिए ISI से था संपर्क, तीन राज्यों से भेजता था आर्मी की सीक्रेट जानकारी जयपुर। CID इंटेलिजेंस ने श्रीगंगानगर से पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस को मंगलवार दोपहर कोर्ट में पेश किया, जहां से आरोपी को 10 दिन की रिमांड पर सौंप दिया गया। आरोपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए पाकिस्तानी ISI से जुड़ा हुआ था और राजस्थान, पंजाब और गुजरात में सैन्य प्रतिष्ठानों की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान भेजता था। फिरोजपुर का रहने वाला प्रकाश सिंह उर्फ बादल गिरफ्तार डीजी (इंटेलिजेंस) प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि जासूसी के आरोप में पकड़े गए युवक की पहचान प्रकाश सिंह उर्फ बादल (34) निवासी फिरोजपुर, पंजाब के रूप में हुई है। CID ने कोर्ट से 15 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन आदेशानुसार आरोपी को 10 दिन की रिमांड पर दिया गया है।
विदेशी नंबरों से लगातार कॉन्टैक्ट में था 27 नवंबर को संदिग्ध को श्रीगंगानगर के साधूवाली सैन्य क्षेत्र के पास देखा गया। बॉर्डर इंटेलिजेंस टीम ने कार्रवाई करते हुए उसे तुरंत पकड़ा।प्रारंभिक जांच में उसके मोबाइल में विदेशी और पाकिस्तानी व्हाट्सऐप नंबरों के साथ लगातार बातचीत के साक्ष्य मिले।
ऑपरेशन सिंदूर से ISI के संपर्क में
श्रीगंगानगर के ज्वाइंट इंटरोगेशन सेंटर में की गई पूछताछ में सामने आया कि संदिग्ध ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के समय से ही पाकिस्तान की ISI से जुड़ा हुआ था।वह कई अहम जानकारियां साझा कर रहा था—आर्मी वाहनों की मूवमेंट, सैन्य संस्थानों की लोकेशन, सीमावर्ती इलाके की भौगोलिक स्थिति, पुल, सड़कें, रेलवे लाइनें, नए निर्माण कार्यों की जानकारी, यह सभी सूचनाएं वह अपने पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेजता था।
OTP सप्लाई रैकेट का भी हिस्सा
जांच में एक और गंभीर गतिविधि सामने आई—ISI की मांग पर प्रकाश सिंह भारतीय नंबरों के OTP पाकिस्तान भेजता था। इन OTP के जरिए पाकिस्तानी एजेंट भारतीय मोबाइल नंबरों पर व्हाट्सऐप एक्टिवेट कर जासूसी और राष्ट्रविरोधी काम करते थे।इसके बदले में आरोपी को फंडिंग भी मिलती थी।
गोपनीयता अधिनियम के तहत दर्ज हुई FIR
पूछताछ और मोबाइल डेटा एनालिसिस में मिले ठोस सबूतों के आधार पर आरोपी के खिलाफ शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923 के तहत जयपुर के स्पेशल पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई और उसे सोमवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया। CID इंटेलिजेंस उम्मीद कर रही है कि रिमांड अवधि के दौरान ISI नेटवर्क और स्थानीय सहयोगियों से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।




