राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

गाजा में सेना उतारने की तैयारी? पाक आर्मी चीफ मुनीर ने खुद संभालनी चाही कमान, अमेरिका से चल रही बातचीत

इस्लामाबाद 
पाकिस्तान गाजा में प्रस्तावित इंटरनेशनल स्टैबलाइजेशन फोर्स (ISF) में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद ने संकेत दिया है कि यदि यह फोर्स तैनात होती है तो पाकिस्तान चाहता है कि उसका सैन्य नेतृत्व इसकी कमान संभाले और एक वरिष्ठ पाकिस्तानी जनरल इस फोर्स का नेतृत्व करे। हालांकि, पाकिस्तान की भागीदारी राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक शर्तों से जुड़ी होगी।
 
मीडिया के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान की यह भूमिका व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर निर्भर करेगी, जिसमें इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर स्पष्ट राजनीतिक आश्वासन और पाकिस्तान के लिए दीर्घकालिक आर्थिक व सुरक्षा गारंटी शामिल हैं। इस प्रस्तावित फोर्स को गाजा में युद्धोपरांत स्थिरता बहाल करने के उद्देश्य से तैनात करने पर विचार हो रहा है।

अमेरिका-पाकिस्तान रक्षा संवाद तेज
अमेरिका और पाकिस्तान के वरिष्ठ रक्षा अधिकारी आईएसएफ के गठन, उसके जनादेश और संचालन प्रक्रियाओं को लेकर नियमित संपर्क में हैं। आने वाले समय में इस फोर्स की संरचना, योजना ढांचे और टर्म्स ऑफ रेफरेंस पर उच्चस्तरीय बातचीत होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर और अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर के बीच मुलाकात की संभावना है। इसके अलावा, पाकिस्तान की अलग-अलग कूटनीतिक बैठकों में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी संपर्क की बात सामने आ रही है।

अमेरिकी नेतृत्व की भी दिलचस्पी
खुफिया जानकारियों के अनुसार, अमेरिका का एक वरिष्ठ राजनयिक और रक्षा प्रतिनिधिमंडल जल्द ही पाकिस्तान का दौरा कर सकता है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हालात अनुकूल होने पर गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण तंत्र को तेजी से तैनात करने में रुचि दिखाई है।

मध्य पूर्व दौरों का रणनीतिक महत्व
आसिम मुनीर के हालिया सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र और लीबिया दौरों को पाकिस्तान की संभावित भूमिका से जोड़कर देखा जा रहा है। ये दौरे आईएसएफ में पाकिस्तान की भागीदारी और उसकी भूमिका तय करने को लेकर प्रारंभिक परामर्श का हिस्सा बताए जा रहे हैं। यह घटनाक्रम सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के रणनीतिक रक्षा सहयोग समझौते के बाद सामने आया है और इसे मध्य पूर्व में पाकिस्तान की सैन्य मौजूदगी को फिर से मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

पाकिस्तान की प्रमुख शर्तें
प्रस्तावित ढांचे के तहत, पाकिस्तान ने कई अहम शर्तें रखी हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) पर स्पष्ट और सार्वजनिक प्रतिबद्धता, जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना शामिल हो। पाकिस्तान चाहता है कि उसकी भूमिका शुरुआत में शांति स्थापना और स्थिरीकरण तक सीमित रहे और गाजा में किसी भी प्रकार की व्यापक निरस्त्रीकरण प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल न होना पड़े। इसके अलावा, इस्लामाबाद ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मिस्र और अमेरिका से अपने नेतृत्व प्रस्ताव को लेकर एकजुट समर्थन की मांग की है। आर्थिक मोर्चे पर, पाकिस्तान दीर्घकालिक निवेश, सहायता पैकेज और सुरक्षा सहयोग चाहता है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सके।

अमेरिका से पुराने सैन्य संबंधों की बहाली की मांग
पाकिस्तान ने अमेरिका से अपना मेजर नॉन-नाटो एलाय (MNNA) दर्जा बहाल करने की भी मांग की है, जो उसे 2004 में दिया गया था। इसके साथ ही, सैन्य प्रशिक्षण और उपकरण आपूर्ति से जुड़े कार्यक्रमों को पूरी तरह फिर से शुरू करने की बात भी रखी गई है, जिन्हें पिछली अमेरिकी सरकारों के दौरान सीमित कर दिया गया था। अफगानिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक सहयोग को भी पाकिस्तान अपनी प्रमुख मांगों में शामिल कर रहा है।

इजरायल से सुरक्षा आश्वासन की मांग
पाकिस्तान ने इजरायल से स्पष्ट सुरक्षा आश्वासन की मांग की है, खासकर भारत के साथ इजरायल के करीबी रणनीतिक रिश्तों को ध्यान में रखते हुए। पाकिस्तान चाहता है कि आईएसएफ के लिए एक संयुक्त समन्वय और संचार मुख्यालय बनाया जाए, जिसमें अमेरिका, इजरायल और अन्य प्रमुख भागीदार देश शामिल हों। हालांकि ये सभी चर्चाएं अभी प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन अमेरिका-पाकिस्तान के बीच बढ़ता संवाद इस बात का संकेत है कि इस्लामाबाद बदलते क्षेत्रीय और वैश्विक हालात के बीच खुद को मध्य पूर्व में एक अहम सुरक्षा भागीदार के रूप में फिर से स्थापित करना चाहता है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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