देवरी का नाम होगा देवपुरी, 200 साल बाद लौटेगी ऐतिहासिक पहचान, केंद्र की अनुमति का इंतजार

सागर
मध्य प्रदेश के सागर की सबसे पुरानी नगरपालिका में शुमार देवरी नगरपालिका का जल्द ही नाम बदलने जा रहा है. देवरी नगर का नाम वहां के लोगों की इच्छा के चलते देवपुरी किया जा रहा है. मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी नगरपालिका में देवरी का नाम शामिल है. यहां पर मध्य प्रदेश का इकलौता खंडेराव (खंडोबा) मंदिर है, जो महाराष्ट्र के जैजुरी की तर्ज पर मराठाओं द्वारा स्थापित कराया गया था. अब इस ऐतिहासिक नगर का नाम इसी वजह से देवपुरी किया जा रहा है. 1813 तक देवपुरी देवरी के नाम से पहचाना जाता था.
दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि यहां के लोग और जनप्रतिनिधि देवरी का नाम बदलना चाहते हैं. क्योंकि स्थानीय बातचीत में महिलाओं के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग भी इसी नाम के साथ किया जाता है. फिलहाल की स्थिति में स्थानीय स्तर और प्रदेश स्तर पर नाम बदलने की होने वाली तमाम औपचारिकताएं हो चुकी हैं और प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया है. जिस पर केंद्र की मुहर का इंतजार किया जा रहा है. स्थानीय बीजेपी विधायक बृजबिहारी पटैरिया इस सिलसिले में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर चुके हैं.
क्यों आया देवरी को देवपुरी करने का विचार
स्थानीय विधायक बृजबिहारी पटैरिया का कहना है कि, ''देवरी का ऐतिहासिक नाम देवपुरी है. यहां करीब 400 साल पुराना ऐतिहासिक खंडेराव मंदिर है. जो महाराष्ट्र के जैजुरी के बाद सिर्फ देवरी में स्थित है. खंडेराव भगवान शिव के अवतार है, जहां सिर्फ देवरी या बुंदेलखंड नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के कई जिलों और महाराष्ट्र तक के श्रृद्धालु आते हैं. यहां विशाल अग्निकुंड मेला भरता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं. दूसरा कारण ये है कि देवपुरी का नाम धीरे-धीरे देवरी हो गया और बुंदेली भाषा में इस शब्द का उपयोग लोग महिलाओं को छेड़ने और उनके साथ अभद्र बाषा में बातचीत के लिए करने लगे.
देवरी की पुरानी पहचान और यहां के प्रसिद्ध मंदिर से नाम को जोड़ने के लिए स्थानीय लोगों के बीच में विचार आया, तो हमने इसकी पहल की. इसके लिए मैंने विधानसभा में अशासकीय संकल्प भी पेश किया और नाम बदलने के लिए होने वाली तमाम औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गयी हैं. राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार की एनओसी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है.''
अब तक ये औपचारिकताएं हो चुकी हैं पूरी
स्थानीय विधायक बृजबिहारी पटैरिया बताते हैं कि, ''देवरी का नाम देवपुरी किए जाने की स्थानीय स्तर की औपचारिकताएं सिलसिलेवार पूरी कर ली गयी हैं. 14
फरवरी को देवरी नगरपालिका में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराया गया था. इसके बाद सागर जिला कलेक्टर ने प्रस्ताव के आधार पर नाम बदलने के लिए 28 जुलाई 2025 को राज्य शासन को पत्र लिखा था. राज्य शासन के राजस्व विभाग ने एक हफ्ते के भीतर ही 4 अगस्त 2025 को केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. इसके बाद मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मेरे द्वारा 5 दिसंबर 2025 को विधानसभा सत्र में अशासकीय संकल्प पारित किया गया.''
केंद्र की एनओसी का इंतजार
राज्य सरकार की तरफ 4 अगस्त 2025 में केंद्र सरकार को एनओसी के लिए लिखे गए पत्र का अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. इस मामले में विधायक बृजबिहारी पटैरिया कहते हैं कि, ''इस मामले में मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने मुझे व्यक्तिगत रूप से और सदन में केंद्र को फिर से पत्र लिखकर एनओसी की बात कही है. जैसे ही केंद्र की एनओसी मिलेगी, देवरी को अपनी पुरानी पहचान मिलेगी.''
क्या कहते हैं स्थानीय लोग और विपक्ष
देवरी के पूर्व विधायक भानु राणा कहते हैं कि, ''ये एक अच्छी पहल है और देवपुरी नाम होने से हमारे नगर की ऐतिहासिक पहचान फिर वापिस लौटेगी.'' वहीं पूर्व विधायक और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हर्ष यादव कहते हैं कि, ''स्थानीय लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं, सरकार ने इसकी पहल की है, ये स्वागत योग्य है. लेकिन देवरी के विकास पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. नेशनल हाइवे 44 पर बसे नगर में उद्योग और रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि नाम बदलने के साथ-साथ विकास भी जरूरी है.''




