
रायपुर-आगामी गणतंत्र दिवस समारोह में नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी। इस वर्ष छत्तीसगढ़ की झांकी में जनजातीय वीर नायकों को समर्पित देश के पहले डिजिटल संग्रहालय की अद्भुत झलक प्रदर्शित की जाएगी। रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के लिए छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि यह डिजिटल संग्रहालय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर नवा रायपुर अटल नगर में लोकार्पित किया जा चुका है। गणतंत्र दिवस समारोह हेतु झांकी के चयन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की झांकी के माध्यम से देशभर के नागरिकों को आदिवासी समाज की अटूट देशभक्ति, अनुपम वीरता और अपने सिद्धांतों के लिए बलिदान की गौरवशाली परंपरा को देखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने इसे पूरे राज्य के लिए गर्व और उत्साह का विषय बताया।
जनसंपर्क विभाग के सचिव रोहित यादव ने बताया कि सभी राज्यों द्वारा अपनी झांकियों के प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजे गए थे। लगभग चार महीने तक चली विस्तृत और कठोर चयन प्रक्रिया के बाद 17 राज्यों की झांकियों को अंतिम रूप से चयनित किया गया है, जिनमें छत्तीसगढ़ की झांकी भी शामिल है। विशेषज्ञ समिति ने छत्तीसगढ़ की झांकी की विषयवस्तु, प्रस्तुति शैली और अभिनव डिज़ाइन की विशेष सराहना की।
जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम ‘स्वतंत्रता का मंत्र – वंदे मातरम्’ पर आधारित है। झांकी में उन जनजातीय वीर नायकों के अद्वितीय बलिदान और संघर्ष को दर्शाया गया है, जिनके सम्मान में देश का पहला डिजिटल संग्रहालय स्थापित किया गया है। यह संग्रहालय जनजातीय आंदोलनों और विद्रोहों की वीरगाथाओं को रोचक, इंटरैक्टिव और प्रेरणादायक रूप में नई पीढ़ी तक पहुँचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। यह चयन न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का राष्ट्रीय मंच पर गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व है, बल्कि आदिवासी समाज के योगदान को उचित सम्मान देने का भी सशक्त माध्यम है।
“गणतंत्र दिवस की परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन पूरे राज्य के लिए गौरव का विषय है। झांकी के माध्यम से देश के पहले डिजिटल संग्रहालय में जनजातीय वीर नायकों की अमर गाथाओं, उनकी देशभक्ति, अदम्य साहस और बलिदान की परंपरा को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिला है। यह झांकी केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के योगदान के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है, जो नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी।” – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय




