RO.NO. 13207/103
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

रूस ने खो दिए 87% सैनिक, आधे से ज्यादा टैंक भी तबाह; क्या करेंगे पुतिन

मॉस्को

रूस और यूक्रेन के बीच बीते 21 महीनों से जंग जारी है। इस बीच अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने अपने आकलन में कहा है कि युद्ध में रूस अपने करीब 87 फीसदी उन सैनिकों को खो चुका है, जो उसके लिए जमीनी जंग में उतरे थे। इसके अलावा रूस के दो तिहाई टैंक भी बर्बाद हो चुके हैं। हालांकि व्लादिमीर पुतिन फिलहाल पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। फरवरी में जंग को शुरू हुए दो साल पूरे हो जाएंगे और उनका कहना है कि इस जंग से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हालांकि अमेरिकी जानकारों का यह भी मानना है कि इस जंग में यूक्रेन को कोई बढ़त नहीं मिलने वाली है। 

दरअसल यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फंडिंग की है और हथियारों से भी यूक्रेन को मदद की है। मंगलवार को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की वॉशिंगटन पहुंचे थे और उन्होंने इस दौरान कई सांसदों से भी मुलाकात की थी। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात में उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को और आर्थिक एवं सैन्य मदद की जरूरत है। रूस से मुकाबले के लिए यह जरूरी है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस पिछले 15 सालों से अपनी सेना के आधुनिकीकरण की कोशिश कर रहा था। इस जंग से उसे झटका लगा है। 

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हार मानने को तैयार नहीं
इतने बड़े नुकसान के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जब रूस ने युद्ध शुरू किया था तो उसके पास 3,60,000 सैनिक थे। अभी तक युद्ध के मैदान में देश ने अपने 3,15,000 जवानों को खो दिया है।

इतने बड़े पैमाने पर नुकसान
वहीं, हथियारों की बात करें तो मॉस्को के 3,500 में से 2,200 टैंक तबाह किए जा चुके हैं। इनके अलावा, 13,600 पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक में से 13,600 भी नष्ट हो गए हैं।

रूस की आक्रमता में कमी आई
इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि नवंबर के अंत तक रूस जमीनी बलों के हथियारों के अपने भंडार का एक चौथाई से अधिक खो चुका है। इतने बड़े नुकसान से कहीं न कहीं रूस की आक्रमता में कमी आई है, लेकिन फिर भी मॉस्को हार मानने को तैयार नहीं है। 

सर्दियों के बाद जीत मिलने की उम्मीद 
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता के अनुसार, रूस का मानना है कि सर्दियों में एक सैन्य कार्रवाई के बाद यूक्रेन को मिलने वाला पश्चिमी समर्थन खत्म हो जाएगा। इसके बाद रूस की जंग को एक नई दिशा मिलेगी।

सैनिकों की संख्या को बढ़ाने का फैसला
बता दें, आक्रमण से पहले रूस के पास करीब नौ लाख कुल स्थायी सेना थी, जिसमें जमीनी सैनिक, हवाई सैनिक, विशेष अभियान और अन्य वर्दीधारी कर्मी शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने जब युद्ध करने की योजना बनाई तो उसने सैनिकों की क्षमता बढ़ाने का फैसला लिया। इसके लिए उसने कई घोषणाएं कीं। 

80 दिनों के युद्धविराम के बाद फिर जंग शुरू
गौरतलब है, हाल ही में करीब 80 दिनों के युद्धविराम के बाद रूस ने फिर से यूक्रेन पर जोरदार हमला कर दिया था। बता दें कि बीते 79 दिनों से दोनों देशों के बीच अनौपचारिक शांति थी लेकिन नौ दिसंबर को यूक्रेन की राजधानी कीव पर बड़ा हमला हुआ। यूक्रेन के आंतरिक मामलों के मंत्री ने बताया था कि कीव पर करीब दो घंटे तक हवाई हमले हुए। हालांकि, कीव के एयर डिफेंस सिस्टम ने सफलतापूर्वक कई मिसाइलों को रास्ते में ही नेस्तानाबूत कर दिया, जिससे कीव में काफी कम नुकसान हुआ। 

रूसी हमले में दो यूक्रेनी नागरिकों की हुई थी मौत
वहीं यूक्रेन के केंद्रीय क्षेत्र में भी रूसी मिसाइलों ने हमला किया गया था। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और चार अन्य घायल हुए थे। साथ ही खारकीव क्षेत्र में हुए हमले में भी एक व्यक्ति की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस दौरान एक रिहायशी इमारत को भी भारी नुकसान हुआ, जिसमें कई मकान और कारें क्षतिग्रस्त हो गईं। यूक्रेनी अधिकारियों का कहना था कि रूस ने एस-300 मिसाइलों से हमला किया। 

अमेरिकी अनुमान के मुताबिक यूक्रेन में रूस के 3 लाख 60 हजार सैनिक घुसे थे। इनमें से 3 लाख 15 हजार सैनिकों की अब तक मौत हो चुकी है। इसके अलावा 3500 में से 2200 टैंक भी उसके बर्बाद हो चुके हैं। यही नहीं रूसी सेना के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है। अनुमान में कहा गया है कि रूस अपने एक चौथाई से ज्यादा हथियारों को खो चुका है। हालांकि अब तक इसे लेकर रूस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले दिनों यह भी खबर थी कि व्लादिमीर पुतिन ने नए हथियार हासिल करने के लिए ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की थी।

अमेरिका में चर्चा- कभी भी बंद हो सकती है यूक्रेन को फंडिंग

इसके अलावा अमेरिका का आरोप है कि चीन, ईरान जैसे देशों से भी रूस ने हथियार हासिल किए हैं। गौरतलब है कि यूक्रेन के मसले पर फिलहाल अमेरिका में भी बहस तेज है। ऐसे रिपब्लिकन्स भी बड़ी संख्या में हैं, जिनका कहना है कि यूक्रेन युद्ध के लिए अब और फंडिंग न की जाए। बाइडेन प्रशासन भी कह चुका है कि जल्दी ही हम यूक्रेन को फंडिंग देना बंद कर सकते हैं। एक अमेरिकी सांसद सेन जेडी वैन्स का कहना है कि रूस को 1991 में तय सीमा के उस पार धकेल पाना यूक्रेन के लिए संभव नहीं होगा।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO. 13207/103

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button