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राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

एनजीटी के निर्देश के बाद फिर खुली सीमांकन की फाइल

भोपाल

राजधानी के तालाबों की सिमटी सरहद को बचाने के लिए अब इनका एरिया नापने के लिये ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी शुरूआत बड़े तालाब से होगी। एनजीटी के निर्देश के बाद एक बार फिर तालाबों के सीमाकंन की फाइल को खोला जा रहा है। ताकि यह पता चल सके कि कहां-कहां कितना अतिक्रमण है, इसे क्यों नहीं हटाया जा रहा है। बड़े तालाब में हो रहे अतिक्रमण और अवैध कब्जों को लेकर एक बार फिर एनजीटी ने राज्य सरकार समेत तमाम जिम्मेदार एजेंसियों से जवाब-तलब किया है। बड़े तालाब के किनारे अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाने के लिए राज्य सरकार को  विस्थापन नीति बनाकर एक्शन लेने के निर्देश  दिये थे लेकिन वह भी फाइलों में उलझ कर रह गए।

इसलिए हो रही ये कवायद
बड़े तालाब का सीमांकन नहीं होने से इसका रामसर साइट का दर्जा छिन जाने की आशंका भी खड़ी हो गई है। 2016 में हुए इंटरनेशनल रामसर कन्वेंशन में वेटलैंड के संरक्षण के लिए 2024 तक का प्लान तैयार हुआ था। इसके बाद सभी देश अपने यहां की वेटलैंड को रामसर साइट का दर्जा दिलाने के लिए रिकॉर्ड अपडेट कर रहे हैं। मप्र में नए वेटलैंड घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन बड़े तालाब का सीमांकन न होने से रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पा रहा है। यही स्थिति रही तो भोजताल का रामसर साइट का दर्जा छिन सकता है। इसलिये अब यह प्रयास किया जा रहा है। नगर निगम के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उसको पूरी तरह से ही पता नहीं है कि बड़े तालाब की असली सरहद क्या है। इसके लिये कईबार प्रयास किये गये। मुनारें लगायी गयी लेकिन अतिक्रमणकारियों के आगे सब बेबस ही रहा।

बड़ा तालाब : अभी यह है स्थिति
सरकारी रिकॉर्ड में बड़े तालाब का आकार 32 वर्ग किमी है। मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट में इसे 34 वर्ग किमी बताया गया है। जबकि 2016 में हुए डीजीपीएस सर्वे की 2017 में आई रिपोर्ट में इसे 38.72 वर्ग किमी बताया गया। तालाब के एफटीएल से 50 मीटर की दूरी तक निर्माण पर प्रतिबंध है। 361 वर्ग किमी के कैचमेंट में भी कई पाबंदी हैं। लेकिन तालाब की हद तय नहीं होने से 50 मीटर की दूरी तय नहीं हो पाती। इससे तालाब की जमीन और कैचमेंट में अवैध निर्माण व अन्य गतिविधियों पर रोक नहीं लग पा रही हैं। पिछले दिनों नगर निगम ने बड़े तालाब के किनारे 980 अतिक्रमण चिन्हित किये थे लेकिन उनको हटा नहीं पाया।

 बड़े तालाब को बचाने के लिये नगर निगम और जिला प्रशासन को सख्ती से काम करना होगा। अभी तो यह आलम है कि खानूगांव से लेकर बैरागढ़ तक के एरिया में यह सिमटता जा रहा है और कोई कुछ नहीं कर रहा है।
नरेश कीर्तियानी,  बायोडायवर्सिटी एक्सपर्ट

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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