RO.No. 13047/ 78
जिलेवार ख़बरें

संसार में मन ही है बंधन का कारण : राजीव नयन

२५-२६

रायपुर

छत्तीसगढ़ के कण-कण में ही नहीं हर घर, हर नाम में राम रचे बसे हुए हैं। पुराने दिनों की ओर लौटें तो याद होगा अधिकांश नाम सियाराम, बलराम, जगतराम जैसे हुआ करते थे। यहां के लोगों के मन में था कि हम भगवान के नाम का जप नहीं कर सकते लेकिन बच्चों के पीछे राम रहेगा न तो निश्चित ही हमें मोक्ष मिल जाएगा, उन्हे जब घर में नाम से पुकारेंगे तो राम स्वमेव पुकारे जायेंगे। रहो भले ही घर में पर मन वृंदावन में रखो। संसार में मन ही बंधन का कारण है। जिस प्रकार आलमारी की चाबी दोनों ओर घूमती है वैसे ही यदि मन रूपी चाबी को संसार की ओर मोड़ोगे तो बंधन में बंध जाओगे और यदि भगवान की ओर तो संसार के बंधन से मुक्त हो जाओगे।

हिंद र्स्पोटिंग मैदान लाखेनगर में श्रीमद्भागवत कथा सत्संग में संत राजीवनयन महाराज ने बताया कि जितनी कथा देश में नहीं होती न उससे दोगुनी कथा अकेले छत्तीसगढ़ में होती है। सबसे गहरी आस्था और मानसिकता और विश्वास के साथ छत्तीसगढ़िया लोग जीते है । श्रीमद् भागवत में लिखा है कि बेटे का नाम नारद रखा था इसलिए उनका मोक्ष हुआ इसलिए आप लोग भी बच्चों का नाम भगवान के नाम पर रखो और आप भी मोक्ष पा जाओगे। नारद देवताओं का पक्ष लेते है और दैत्यों का विरोध करते है, यदि सही अर्थो में वे नारद है तो दैत्य और देवता के लिए सभी सामान होना चाहिए। परिक्षित पूछते हैं कि क्या नारायण कभी दैत्यों का पक्ष नहीं लेते, तब सुखदेव ने कहा कि भगवान की कृपा सब पर बराबर बरसती है। हां ये जरूर है कि जिसके  भक्ति का पात्र विशाल होता है उस पर ज्यादा ही कृपा होती है और जिसका पात्र संकुचित होता है उस पर कृपा कम होती है। भगवान की कृपा का दर्शन कभी नहीं होता है उसका अनुभव होता है। एक उदाहरण देते हुए कथाव्यास ने बताया कि एक आदमी ने उनसे पूछा कि भगवान की कृपा कैसे होती है तब उन्होंने कहा कि कोरोना के समय तुमने क्या खोया, इस पर उन्होंने कहा कि पत्नी, भाई, चाचा, पड़ोसी चल बसे। हमने कहा कि तुम बच गए यही भगवान की कृपा है। तुम पर भगवान की कृपा है कि सत्संग में बैठे हो और एक मदिरालय में खड़ा है उस पर भगवान की कृपा नहीं है।

हमारे यहां महिलाओं को धर्मपत्नी कहा जाता है, धर्मपत्नी क्यों कहते है वह इसलिए कि नास्तिक से नास्तिक पति को वह वास्तविक बना देती है। यदि आज पुरुषों के भरोसे धर्म छोड़ दिया जाए न तो धर्म दिखाई नहीं पड़ेगा। धर्म देखना है ना तो सुबह 6 बजे इस कथा स्थल पर आ जाइये। सब कार्यों को करते हुए धर्म में कोई रुचि रख सकता है तो वह भारतीय महिला है इसलिए शास्त्रों में धर्मपत्नी कहा गया, जो धर्म को आसित करके पति को भी धर्म में लगा देती है। मेडिकल साइंस कहता है कि पांच महीने का शिशु गर्भ में श्रवण करना शुरू कर देता है, इसलिए अभिमन्यु ने माता के गर्भ में चक्रव्यूहू भेदन का वृतांत सुन लिया था। परिक्षित ने माता के गर्भ में भगवान का दर्शन कर लिया था और अब वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध हो चुका है कि पांच महीने का शिशु गर्भ में सुनता है। लेकिन यह बात आज तुम्हें पता चला लेकिन हमारे वेद कहते आ रहे हैं कि गर्भ में संस्कार होता है। माता जब गर्भवती हो न तो भगवान की कथा जरुर सुने।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button