धार्मिक

20 मार्च के दिन है रंगभरी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 पंचांग के अनुसार इस बार 20 मार्च रंगभरी एकादशी आ रही है. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी के रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी सभी एकादशी में सर्वश्रेष्ठ है. यूं तो एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन ये इकलौती एकादशी है जिसमें भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है.आइए जानते ऐसा क्यों.

 रंगभरी एकादशी महाशिवरात्रि पर्व के बाद मनाई जाती है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह करने के बाद रंगभरी एकादशी के दिन काशी गए थे. एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना हुआ था. रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर न सिर्फ काशी बल्कि कृष्ण के ब्रज मंडली और महाकाल कि नगरी में भी रंगों का यह पावन पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

अमालिका या रंगभरी एकादशी एकादशी डेट- 20 मार्च. बुधवार

 मुहूर्त-

    एकादशी तिथि प्रारम्भ – मार्च 20, 2024 को 12:21 ए एम बजे

    एकादशी तिथि समाप्त – मार्च 21, 2024 को 02:22 ए एम बजे

पारणा टाइम-

    पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 21 मार्च को 01:47 पी एम से 04:12 पी एम तक

    पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 08:58 ए एम

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एकादशी पूजा- विधि-

    सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
    घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
    भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
    भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
    भगवान शंकर और माता पार्वती का जल से अभिषेक करें।
    अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
    भगवान की आरती करें।
    भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
    इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
    इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट

    श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
    पुष्प
    नारियल
    सुपारी
    फल
    लौंग
    धूप
    दीप
    घी
    पंचामृत
    अक्षत
    तुलसी दल
    चंदन
    मिष्ठान

शिव जी और माता पार्वती की पूजा सामग्री- पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.13286/93

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