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राजनीति

बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 400 पार जीतने का लक्ष्य पाने में सहयोगियों की भूमिका जरूरी

नई दिल्ली
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम नेता और कार्यकर्ता 'अबकी बार 400 पार' का नारा दे रहे हैं। बीजेपी समेत पूरे एनडीए गठबंधन ने इसे ही अपने मुख्य एजेंडे में शामिल किया है। लेकिन लोकसभा चुनावों में 400 का आंकड़ा पाना इतना भी आसान नहीं है। केवल नारों से इतने बड़े टारगेट को हासिल नहीं किया जा सकता। बीजेपी के अलावा उसके सहयोगियों को भी इसमें बड़ी भूमिका निभानी होगी। हालांकि अभी तक कुछ राज्यों में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। बीजेपी के अन्य सहयोगी दल आठ राज्यों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगभग 100 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
 

यूपी बिहार में बीजेपी गठबंधन की क्या स्थिति
बीजेपी ने बिहार में अपने सहयोगियों जेडीयू,एलजेपी (रामविलास), आरएलएम और एचएएम को 23 सीटें दी हैं। 2019 में, आरएलपी और एचएएम गठबंधन का हिस्सा नहीं थे। वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने बिहार में 23 में से 22 सीटें जीती थीं। बीजेपी के सहयोगियों के सामने 2019 की संख्या को दोहराने की चुनौती है। बिहार के साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश भी बीजेपी के सामने चुनौती है। कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का द्वार यूपी से होकर जाता है। यूपी में इस बार बीजेपी ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है। 80 में से 75 सीटों पर बीजेपी खुद चुनाव लड़ रही है वहीं आरएलडी, अपना दल को दो-दो और एसबीएसपी को एक सीट दे रही है। वहीं झारखंड में, 2019 की तरह पार्टी ने सहयोगी एजेएसयू को एक सीट दी है। राज्य में अभी तक किसी भी सीनियर नेता ने प्रचार नहीं किया है।

आंध्र प्रदेश में खाता खोलने की उम्मीद
आंध्र प्रदेश में, जहां भाजपा 2019 में एक भी सीट नहीं जीत सकी, पार्टी टीडीपी और जन सेना के साथ गठबंधन में छह सीटों पर चुनाव लड़ रही है। टीडीपी और जन सेना 19 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा न केवल राज्य में अपना खाता खोलने की उम्मीद कर रही है बल्कि एनडीए की स्थिति को सुधारने के लिए सहयोगियों पर भी भरोसा कर रही है।

तमिलनाडु में नया प्रयोग
कर्नाटक में बीजेपी ने जेडीएस को तीन सीटें दी हैं – कोलार, हासन और मांड्या। बीजेपी ने 2019 में 25 सीटों पर अपनी जीत को दोहराने की उम्मीद के साथ जेडीएस के साथ गठबंधन किया है। तमिलनाडु में, पार्टी ने कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है और उन्हें 24 लोकसभा सीटें दी हैं। छोटे दलों के चार नेता भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी द्रविड़ राज्य में प्रयोग कर रही है जहां उसने दो प्रमुख दलों – AIADMK और DMK में से किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है। अपनी संख्या में सुधार के अलावा, पार्टी को उम्मीद है कि उसके सहयोगी दक्षिण में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

महाराष्ट्र में गठबंधन सबसे खास
गठबंधन में सबसे महत्वपूर्ण महाराष्ट्र है जहां बीजेपी करीब 30 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) को 19 से 20 सीटें देने जा रही है। एनडीए ने अभी सीट बंटवारे के समझौते की घोषणा नहीं की है लेकिन संख्या ऊपर बताई गई सीमा में ही रहेगी। अपनी खुद की स्थिति में सुधार के अलावा बीजेपी चाहती है कि सहयोगी भी अच्छा प्रदर्शन करें क्योंकि दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।

केरल और नॉर्थ ईस्ट में सहयोगियों पर जताया भरोसा
केरल में, बीजेपी 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और सहयोगी चार सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। केरल में 2019 में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार पार्टी ने कांग्रेस और लेफ्ट नेतृत्व वाले गठबंधनों के एकाधिकार को तोड़ने के लिए सुरेश गोपी, राजीव चंद्रशेखर और वी मुरलीधरन जैसे सीनियर नेताओं पर भरोसा जताया है। इधर नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी ने असम में तीन सीटें छोड़ी हैं, दो एजीपी के लिए और एक यूपीपीएल के लिए। अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी ने सहयोगी दलों को चार सीटें दी हैं। मेघालय में दो सीटें एलएस को और दो एनपीपी को। वहीं बाहरी मणिपुर एनपीएफ को और नागालैंड में एक सीट एनडीपीपी को दी है।

दक्षिण में बीजेपी कर सकती है अच्छा प्रदर्शन
देश के जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में कहना था कि बीजेपी दक्षिण और पूर्वी भारत में सीट और मत फीसदी में उल्‍लेखनीय इजाफा करने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी तेलंगाना में पहली या दूसरी पार्टी होगी और तमिलनाडु में बीजेपी का मत प्रतिशत दोहरे अंक में पहुंच सकता है। उन्होंने कहा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी बीजेपी पहले नंबर पर रह सकती है। किशोर ने इस बात पर भी जोर दिया कि बीजेपी अपने लक्ष्य के मुताबिक, 370 सीट जीतने की संभावना नहीं है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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