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वन विभाग के प्रयासों का असर, जंगल में बनाए गए जलकुंड, आबादी क्षेत्र में नहीं आ रहे जानवर

 इंदौर
मई का आधा महीने निकल चुका है। गर्मी इन दिनों अपने चरम पर पहुंच चुकी है। भीषण गर्मी पड़ने से पारा 40 डिग्री को छूने लगा है। जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकल आते है। मगर इस बार यह स्थिति नहीं बनी है, क्योंकि वन विभाग ने जानवरों का ध्यान रखते हुए जंगल में पानी की व्यवस्था की है।

इंदौर वनमंडल में आने वाली चारों रेंज में छोटे-छोटे जल कुंड बनाए हैं। करीब पंद्रह वॉटर सोर्स वन कर्मियों ने तैयार किए है। जहां इनमें टैंकरों से पानी भरा जाता है। जबकि कुछ कुंड में ग्रामीण पानी भरते है।

यहां की पानी की व्‍यवस्‍था

तापमान बढ़ते ही वन्य प्राणियों में पानी की कमी तेजी से होती है। कई बार हिरण-चीतल और मोर की मौत डिहाइड्रेशन की वजह से हो जाती है। वहीं जंगलों में पानी की कमी होने पर सियार-लकड़बग्घे और तेंदुए भटकते हुए गांवों की की तरफ रुख कर लेते हैं। इसके चलते जानवरों के हमले के किस्से भी सुनने में आते है। मगर इंदौर वनमंडल में इस बार जंगल में वॉटर सोर्स यानी छोटे-छोटे जल कुंड बनाए हैं। ये इंदौर, चोरल और मानपुर रेंज में सबसे ज्यादा बने है। जबकि महू में एक्का-दुक्का स्थानों पर पानी की व्यवस्था की गई है।

प्राकृतिक जल स्रोतों की कर रहे सफाई

अधिकारियों के मुताबिक इंदौर में नाहरा झाबुआ, कजलीगढ़, तिंछा, चोरल में आशापुरा, उमठ, मानपुर में यशवंत नगर, कनेरिया सहित अन्य वनक्षेत्र में वॉटर सोर्स बनाए है। वन परिक्षेत्र में सीमित दूरियों में गड्ढों में साफ पानी उपलब्ध होने से हिरण भटककर जंगल से बाहर नहीं जाएंगे। जल कुंड के माध्यम से पानी की आपूर्ति जंगल के प्राकृतिक जल स्रोतों से कर रहे है। डीएफओ महेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि जंगल में जहां भी प्राकृतिक जल स्रोत है। उनकी सफाई करवाई जा रही है। साथ ही छोटे-छोटे वॉटर सोर्स बनाए है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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