राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में भारतीय छात्रों की स्थिति गंभीर, विरोध प्रदर्शन के बीच 202 से अधिक भारतीयों की वापसी

कोलकाता
 बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के खिलाफ चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 100 से अधिक भारतीय छात्र वहां फंस गए हैं। इन छात्रों को वीजा बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई और कई छात्राओं के साथ विभिन्न स्थानों पर छेड़छाड़ की घटनाएं भी सामने आई हैं। बांग्लादेश की मजहबी कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने इन छात्रों को बंधक बना कर फिलिस्तीन शैली के समझौते की योजना बनाई है। फिलहाल इस पर विस्तृत जानकारी का इंतजार हो रहा है।

इस संकटपूर्ण स्थिति के बीच 202 से अधिक भारतीय नागरिक, जिनमें अधिकांश छात्र हैं, मेघालय के दावकी इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के रास्ते भारत वापस लौट आए हैं। इनमें से 161 छात्र, जिनमें से 63 मेघालय के हैं, उन्हें सुरक्षित निकाला गया।

 बांग्लादेश में student आंदोलन के हिंसक को जाने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय और अन्य देशों के student भारत-बांग्लादेश सीमा पर एकत्रित हो गए हैं. पिछले दो दिनों में करीब 830 छात्रों को सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारतीय सीमा के अंदर सुरक्षित किया है.

सूत्रों ने इसकी जानकारी देते हुए Friday को बताया कि नागालैंड के दावकी में 18 जुलाई तक भारत-बांग्लादेश सीमा स्थित चेकपोस्ट दावकी-तमाबिल के रास्ते भारत में प्रवेश करने वाले छात्रों की कुल संख्या 474 रही. इसमें भारतीय छात्रों की संख्या 198 थी, जबकि बांग्लादेश के 168 छात्र, नेपाल के 101 छात्र, और भूटान के सात student शामिल हुए हैं.

19 जुलाई दोपहर 1:30 बजे तक की स्थिति के अनुसार, बांग्लादेश से 356 छात्रों ने भारत में प्रवेश किया है. इनमें 200 भारतीय छात्र, 143 नेपाली छात्र, 01 भूटानी student और 12 बांग्लादेशी student शामिल हैं. हालत यह है कि बांग्लादेश के student भी अपनी सुरक्षा के लिए भाग कर भारतीय सीमा में आ रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ ने इन छात्रों को अपने सुरक्षा घेरे में लेकर रखा है. संबंधित छात्रों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.

हालांकि, ये संख्या केवल छात्रों के बारे में बताई गई है. कितने पर्यटक या अन्य नागरिक बांग्लादेश से भारत आए हैं, इस बारे में फिलहाल अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है.

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना सरकार 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को बंद करे। बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत 07 अगस्त को इस कोटा को बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगी।

ढाका में कोटा विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या शुक्रवार सुबह तक 39 हो गई है। इस हिंसा के कारण बांग्लादेश में टेलीविजन समाचार चैनल बंद हो गए हैं, दूरसंचार सेवाएं बाधित हो गई हैं और कई समाचार पत्रों की वेबसाइटें और सोशल मीडिया खाते निष्क्रिय हो गए हैं।

छात्र प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के टेलीविजन नेटवर्क पर आकर संघर्षों को शांत करने की अपील के एक दिन बाद राष्ट्रीय प्रसारक के भवन में आग लगा दी। कई पुलिस पोस्ट, वाहन और अन्य प्रतिष्ठान भी जला दिए गए। कई अवामी लीग के पदाधिकारियों पर भी छात्रों ने हमला किया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया है और अधिकारियों से सभी हिंसक कृत्यों की जांच करने और दोषियों को सजा देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, हिंसा कभी भी समाधान नहीं हो सकती।

 

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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