एसिड अटैक: डरी-सहमी छात्रा बोली, आखिर ये क्या हो गया, चेहरा देख दहाड़े मारकर रोई
लखनऊ
लखनऊ के चौक में लोहिया पार्क के पास बुधवार सुबह सरेराह एक शोहदे ने छात्रा पर एसिड फेंक दिया। छात्रा को बचाने में उसका मौसेरा भाई भी चपेट में आ गया। दोनों गंभीर रूप से झुलस गए। वारदात के बाद हमलावर पैदल भाग निकला। दोनों को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई है। पुलिस एफआईआर दर्ज कर शोहदे की तलाश कर रही है।
चौक निवासी एक प्रॉपर्टी डीलर की 20 वर्षीय बेटी बुधवार सुबह साढ़े सात बजे लोहिया पार्क के पास अपने मौसेरे भाई से मिलने गई थी। लखीमपुर निवासी मौसेरा भाई एमबीबीएस का छात्र है। वह ई रिक्शा से पार्क तक पहुंची थी। जैसे ही वह ई रिक्शा से उतरकर भाई के आने का इंतजार करने लगी, वैसे ही एक शोहदा आया और उस पर कमेंट करने लगा।
छात्रा को शोहदा परेशान कर ही रहा था तभी उसका भाई भी आ गया। उसने शोहदे को फटकारा, तो वह वहां से जाने लगा। कुछ दूर जाने के बाद वह तेजी से वापस आया और एसिड उड़ेल दिया। इससे दोनों झुलस गए। डीसीपी पश्चिम दुर्गेश कुमार ने बताया कि तहरीर के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। हमलावर की तलाश में तीन टीमें लगाई गई हैं।
चौक में लोहिया पार्क के पास एसिड से हमले की वारदात में छात्रा के मौसेरे भाई ने दिलेरी दिखाई। फटकार पड़ने के बाद जब हमलावर लौटा तो उनकी नजर उस पर पड़ी। चंद सेकंड में हमलावर ने एसिड से भरी बोतल निकाली। यह देखकर छात्रा के मौसेरे भाई ने मामला भांप लिया। तत्काल वह बहन को घेरकर खड़ा हो गया। हालांकि, थोड़ा एसिड छात्रा के चेहरे पर गिर गया, जबकि उसके भाई की पूरी पीठ, हाथ, कंधा और छाती तक एसिड गिरा।
मुझे लगा बोतल मारने वाला है…
छात्रा के मौसेरे भाई ने परिजनों को बताया कि जब वह वहां पहुंचा तो देखा कि बहन से कोई जबरन बातचीत करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए वह तेजी से वहां पहुंचा। शोहदे को फटकारा। जब शोहदा लौटकर आया तो उसके हाथ में बोतल दिखी। छात्रा के भाई को लगा कि वह बोतल मारने जा रहा है। इसलिए तुरंत बहन के सामने आ गया, ताकि उसे बोतल न लगे। उसे अंदाजा नहीं था कि बोतल में एसिड है।
डरी-सहमी छात्रा बोली, आखिर ये क्या हो गया
वारदात से छात्रा बहुत डर गई है। दहशत की वजह से काफी देर तक वह कुछ भी बोल नहीं पाई थी। इलाज से जब थोड़ा आराम मिला तो माता-पिता से बातचीत की और रोती भी रही। छात्रा ने कहा कि आखिर ये क्या हो गया। अब हम कैसे ठीक होंगे। मेरी क्या गलती थी जो उसने ऐसा किया।
वारदात से छात्रा और उसका भाई सहम गया। दहशत इतनी कि कई घंटे तक दोनों कुछ बोल नहीं पाए। छात्रा के पिता के मुताबिक जब बातचीत करने की स्थिति में आई तो उसने अपना चेहरा देखा। चेहरा देख वह डर गई। दहाड़ मार-मार कर रोने लगी। वह बोली, मेरा सबकुछ खत्म हो गया, मुझे गोली मार दो…। अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर घटना ने उसको झकझोर दिया है।
तीन-चार दिन से अंजान नंबरों से कॉल करता था, परिजनों को भी नहीं बताया
वारदात के बाद छात्रा ने परिजनों को बताया कि अंजान नंबरों से कॉल करने वाला एक शख्स उसको चार-पांच दिन से परेशान कर रहा था। मैसेज भी भेजता था। पर, इस बारे में उसने परिजनों को नहीं बताया। न ही पुलिस से शिकायत की थी। घटना के बाद उसने पूरी बात परिजनों और पुलिस को बताई।
खामोश न रहें…ताकि शोहदों पर कस सके नकेल
इस मामले में अगर पहले शिकायत की गई होती, तो शोहदे पर पुलिस कार्रवाई करती। जिससे वह वारदात को अंजाम न दे पाता। इसलिए कभी अगर कोई परेशान करे, छेड़छाड़ करे, तो तुरंत पुलिस थाने, वीमेन पावरलाइन 1090 में शिकायत दर्ज कराएं।
परिजन बोले, आरोपी को फांसी हो
वारदात से परिजन एक तरफ जहां बहुत दुखी हैं तो दूसरी तरफ उनके भीतर आक्रोश भी है। वह बोले कि पुलिस, प्रशासन और सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द आरोपी पकड़ा जाए। वह चाहते हैं कि उसे फांसी हो। क्योंकि जो पीड़ा उसने उनकी बेटी, भतीजे और पूरे परिवार को दी है, वह जिंदगी में कभी खत्म नहीं हो पाएगी।
पांच फीसदी जला है चेहरा, समय के साथ पता चलेगी गंभीरता
केजीएमयू के प्लास्टिक एंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. विजय कुमार ने बताया कि युवती का चेहरा पांच फीसदी जला है। समय के साथ इसकी गंभीरता पता चलेगी। फिलहाल सिर्फ जले हुए भाग का क्षेत्रफल देखा जा सकता है। प्रो. विजय के मुताबिक समय बीतने के साथ ही यह पता चलेगा कि यह घाव त्वचा में कितने भीतर तक है। इसके आधार पर तय किया जाएगा कि इसे रीकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है अथवा नहीं, या फिर इसके लिए कौन सी तकनीक अपनाई जाएगी। वहीं घटना में घायल युवक एमबीबीएस का छात्र है, उसके कंधे का करीब 10 फीसदी हिस्सा जला है। जबकि उसकी बहन ने हाल ही में स्नातक कंप्लीट किया है। झुलसे भाई-बहन को निगरानी में रखा गया है। दोनों की हालत फिलहाल खतरे से बाहर हैं।