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अक्टूबर में स्पष्ट होगी नगरीय निकाय चुनाव की स्थिति, EVM या बैलेट पेपर से होगा चुनाव

रायपुर
 रायपुर में प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनाव पर संशय की स्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया, जो अब पिछड़ा वर्ग का सर्वे करा रहा है। सर्वे की प्रक्रिया 10 अक्टूबर तक पूरी होनी है, जिसके बाद डाटा तैयार किया जाएगा। ऐसे में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक यह साफ हो पाएगा कि चुनाव कब होंगे। हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग दिसम्बर में चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। अगर सर्वे डाटा आने में देरी हुई, तो इसका असर चुनावी कार्यक्रमों पर पड़ सकता है राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव करने के लिए मतदाता सूची तैयार करने का काम कर रही है। यह काम 20 अगस्त से शुरू हो गया है। यह काम 10 अक्टूबर तक किया जाएगा। इसके लिए बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वे का काम भी बीएलओ को दिया गया है। उन्हें एक प्रपत्र दिया गया है, जिसमें पिछड़ा वर्ग से जुड़ी अहम जानकारी को एकत्र किया जा रहा है। साथ ही बीएलओ को इस बात की भी हिदायत दी गई है कि यदि वे इसकी जानकारी की लीक करते हुए, तो उनकी जिम्मेदारी तय होगी।

वर्ष 2019 में कुल 151 नगरीय निकाय में मतदान हुआ था। इसमें प्रदेश के 10 नगर निगम भी शामिल थे। इनके लिए 21 दिसबर को मतदान हुआ था और नतीजों की घोषणा 24 दिसबर 2019 को हुई थी। ज्यादातर महापौर के प्रथम समेलन की तिथि 5 या 6 जनवरी है। राज्य निर्वाचन आयोग को इस तिथि के पहले चुनाव करा कर नतीजे जारी करना जरूरी होता है। किसी कारण से तय समय पर चुनाव नहीं होता है, तो संबंधित निकायों की बॉडी को भंग करके, वहां प्रशासक की तैनाती करनी पड़ती है। पिछली बार रिसाली नगर निगम की घोषणा होने के बाद वहां प्रशासक बनाया गया था। हालांकि प्रशासक की नियुक्ति होने की स्थिति में आम जनता को थोड़ी परेशानी उठानी पड़ सकती है।

इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में कई पेंच आ रहे हैं। जैसा कि इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की चर्चा चल रही है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आम जनता से राय भी मांगी थीं। अभी इस पर फैसला होना बाकी है। इसके अलावा प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव ईवीएम से होते आए थे। पिछली सरकार ने बैलेट पेपर से चुनाव कराए थे। इसके अलावा आम जनता से महापौर चुनने का अधिकार भी वापस ले लिया था। सरकार बदलने के बाद दोनों प्रक्रियाओं में बदलाव की चर्चा, लेकिन इस पर अभी तक निर्णय नहीं हो सका है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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