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राजनीति

मर्यादित व्यवहार से एसएम कृष्णा ने विशेष छाप छोड़ी : कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र

नई दिल्ली
कर्नाटक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने मंगलवार को पूर्व विदेश मंत्री, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एसएम कृष्णा के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट के जरिए कहा, “कर्नाटक राज्य के इतिहास में अनुशासन और प्रबुद्ध शासन की मिसाल रहे, अपनी सज्जनता और मर्यादित व्यवहार से विशेष छाप छोड़ने वाले एसएम कृष्णा के निधन की खबर है।”

उन्होंने आगे कहा, “गौरवान्वित कन्नडिगा एसएम कृष्णा, जिन्होंने राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण पद संभाले और इतिहास में अपनी स्थायी छाप छोड़ी। विशेषकर बेंगलुरू को सिलिकॉन सिटी के रूप में विकसित करने में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा।”

उन्होंने आगे कहा, “केंद्रीय मंत्रिमंडल में विभिन्न पदों के साथ महत्वपूर्ण विदेशी मामलों के पोर्टफोलियो को कुशलता से संभालने वाले और महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्य करने वाले कृष्णा राजनीति की चार पीढ़ियों की सबसे बड़ी कड़ी थे।” उन्होंने कहा, “उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक संस्कार और सुसंस्कृत आचरण को अपने जीवन का हिस्सा बनाया क्योंकि स्वस्थ मन ही सक्रियता का प्रतीक है। कृष्णा शुचिता की प्रतिमूर्ति थे, जिन पर अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी कोई कलंक नहीं लगा।”

उन्होंने कहा, “कर्नाटक की राजनीति में कृष्णा के बिना कुछ भी याद करना बहुत मुश्किल है, वह हम जैसे राजनेताओं की युवा पीढ़ी के लिए आदर्श थे और रहेंगे।” उन्होंने कहा, “जब तक कर्नाटक का इतिहास है, एसएम कृष्णा अमर हैं, उनके निधन का दुःख उनके परिवार के साथ-साथ लाखों लोगों पर भी असर डालेगा।” उन्होंने कहा, “एसएम कृष्णा का वर्तमान राजनीतिक रुख भारत की सुरक्षा के लिए प्रेरक शक्ति थे, भगवान उनकी आत्मा को शाश्वत शांति दे। मुझे लगता है कि उनकी आत्मा कर्नाटक और देश के लिए हमेशा धड़कती रहती है।” बता दें कि एसएम कृष्णा लंबे समय से उम्र संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव मद्दुर में बुधवार (11 दिसंबर) को होगा। वो 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे और 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे।

उनकी सफल राजनीतिक पारी की बात करें तो, 22 मई 2009 को उन्हें मनमोहन सिंह के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया था। 23 मई 2009 को उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2009 से 2012 तक उन्होंने भारत की विदेश नीति को नया आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। मार्च 2017 में वो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

2023 में सरकार ने एसएम कृष्णा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उनके पिता का नाम एस सी मल्लैया है। उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई स्नातक की पढ़ाई मैसूर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की डिग्री कॉलेज से की थी। बेंगलुरू के सरकारी कॉलेज से कानून की डिग्री ली। इसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे। वहां से स्नातक करने के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून में शिक्षा ग्रहण की थी।

1962 में उन्हें कर्नाटक विधानसभा का सदस्य भी चुना गया था। 1960 के आसपास विधिवत रूप से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर दी थी। 1962 में उन्होंने मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए थे। 1968 में उन्होंने मांड्या लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता था।

1999 से लेकर 2004 तक वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे। दिसंबर 2004 से लेकर 2008 तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। जनवरी 2023 में उन्होंने घोषणा की थी कि वो अब सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं रहेंगे।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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