अगर कोई मुस्लिम पर्यावरण के लिए नदी की पूजा करे तो दिक्कत क्या’, बोले RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले

गोरखपुर
गोरखपुर में आयोजित हिंदू सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयान को लेकर चर्चा तेज हो गई है. खोराबार के मालवीय नगर में संबोधन के दौरान उन्होंने हिंदू धर्म को मानव धर्म बताते हुए कहा कि भारत में हर व्यक्ति अपने-अपने पंथ का पालन कर सकता है.
'हिंदू धर्म का अर्थ मानव धर्म'
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जब हम हिंदू धर्म कहते हैं तो उसका अर्थ मानव धर्म होता है. दुनिया के किसी भी देश के लोग यहां आकर अपने विश्वास और परंपराओं के अनुसार जीवन जी सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर नमाज पढ़ने वाले हमारे मुस्लिम भाई पर्यावरण की दृष्टि से नदी की पूजा कर लें तो इसमें क्या बिगड़ जाता है.
गोरखपुर के खोराबार स्थित खेल मैदान में बोलते हुए उन्होंने अपनी बात के समर्थन में सऊदी अरब और रुस का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, सऊदी अरब में मुसलमान भाइयों ने जमीन देकर मंदिर बनवाया है। रूस में चर्च के लोगों ने मंदिर बनवाने के लिए जगह दी है। अब हमको भी भारत में यह समझाना होगा।
होसबाले ने कहा, अंग्रेजों ने यहां फूट डालो, राज करो की राजनीति की। लेकिन अब हमारे एकजुट होने का समय आ गया है। हिंदू जागेगा तो विश्व जागेगा। मानव का विश्वास जागेगा। हमें बच्चों को हनुमान चालीसा, गीता सिखाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हम कहते हैं कि हम लोगों को विश्व गुरु बनना है। लेकिन अगर हम ही गिरे हुए हैं तो हम दूसरे गिरे हुए आदमी को कैसे खड़ा करेंगे? हम जब खड़े होते हैं, तभी हम गिरे हुए आदमी को उठा सकते हैं। इस सम्मेलन में गोरखपुर और आसपास के जिलों से करीब 5 हजार लोग पहुंचे थे।
‘सूर्य नमस्कार से मुस्लिमों को क्या दिक्कत?’
योग और सूर्य नमस्कार का जिक्र करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इसे संकीर्ण धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सूर्य नमस्कार एक वैज्ञानिक और स्वास्थ्य-उन्मुख अभ्यास है. इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होता है, और इसे करने से कुछ भी नहीं खोता है. सूर्य नमस्कार से मुस्लिमों का क्या बिगड़ जाएगा? नमाज पढ़ने वाले प्राणायाम करेंगे तो गलत है क्या? नहीं है. हम ये नहीं कहेंगे कि तुम ये करो तो वो पूजा छोड़ दो, नमाज़ छोड़ दो. ये तो हम नहीं कहेंगे.’
दत्तात्रेय होसबाले के बयान को प्वाइंटर्स में समझिए
नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम बंधु पर्यावरण की दृष्टि से नदी की पूजा करें तो क्या गलत है.
नमाज पढ़ने वाले मुस्लिम लोग सूर्य नमस्कार करें तो क्या गलत है.
नमाज पढ़ने वाले प्राणायाम करेंगे तो गलत है क्या? नहीं है.
हम ये नहीं कहेंगे कि तुम ये करो तो वो पूजा छोड़ दो, नमाज़ छोड़ दो. ये तो हम नहीं कहेंगे
‘राष्ट्र निर्माण केवल चरित्र निर्माण से ही संभव’
सांस्कृतिक एकता पर जोर देते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारतीय संस्कृति धार्मिक सीमाओं से परे सह-अस्तित्व और प्रकृति के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आरएसएस समाज के सभी वर्गों के बीच आपसी सम्मान और सद्भाव में विश्वास करता है. ‘हिंदू-हिंदुत्व’, ‘राष्ट्र-राष्ट्रीयता’, और ‘भारत-भारतीयता’ जैसे विषयों पर बोलते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल चरित्र निर्माण से ही संभव है.
‘पूजा के तरीके अलग पर धर्म एक है’
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ‘भारतीय सांस्कृतिक जड़ें एक हैं. पूजा के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन धर्म एक है- सनातन. धर्म जीवन जीने की कला है.’ उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुयायियों की जिम्मेदारी है कि वे न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर में मानवता के कल्याण के लिए मानवीय मूल्यों को बनाए रखें. उन्होंने कहा, ‘हमारे पूर्वजों ने हिंदू धर्म को मानव धर्म बताया है. किसी भी देश के लोग इसका पालन कर सकते हैं. 21 जून को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उत्सव इसका एक स्पष्ट उदाहरण है.’
'कोई सूर्य नमस्कार करता है तो इसमें गलत क्या'
होसबाले ने कहा कि अगर कोई सूर्य नमस्कार करता है या प्राणायाम करता है तो इसमें गलत क्या है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ किसी से यह नहीं कहता कि वह अपनी पूजा, नमाज या धार्मिक परंपराएं छोड़ दे. संघ का कहना सिर्फ इतना है कि मानव धर्म और हिंदू धर्म को समझा जाए.
उन्होंने कहा कि यही वह हिंदू धर्म है, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों तक संघर्ष किया और तमाम आक्रांताओं के सामने भी टिके रहे. इस हिंदू सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.




