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राजनीति

प्रदेश की टॉप 10 जीत दर्ज करने वाले MLA को अपनी जीत का अंतर बरकरार रखने की बड़ी चुनौती

भोपाल

पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में मिलाकर प्रदेश की टॉप 10 जीत दर्ज करने वाले विधायकों और मंत्रियों को अपनी जीत का अंतर इतना ही बरकरार रखने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। प्रदेश की टॉप 10 जीत में जहां भाजपा के सात विधायक शामिल हैं, वहीं कांग्रेस के सिर्फ तीन ही विधायक हैं। इनमें से अधिकांश के टिकट फिर से तय माने जा रहे हैं।

ऐसे में कई विधायक अपनी जीत के इसी अंतर को बरकरार रखने के प्रयास में अभी से जुटे हुए हैं। प्रदेश की सबसे बड़ी जीत इंदौर दो से भाजपा के रमेश मंदोला के नाम पर है। उन्होंने कांग्रेस के एडवोकेट मोहन सिंह सेंगर को 71 हजार 11 वोटों से हराया था।इसके बाद दूसरी बड़ी जीत भाजपा के खाते में उपचुनाव में आई। तीसरी बड़ी जीत कांग्रेस के नाम पर दर्ज है। कुक्षी विधानसभा से सुरेंद्र सिंह बघेल हनी ने 62 हजार 930 वोटों से जीत दर्ज की थी। चौथी बड़ी जीत भी भाजपा के खाते में दर्ज हैं। चितरंगी विधानसभा सीट से भाजपा के अमर सिंह ने कांग्रेस की सरस्वती सिंह को 59 हजार 248 वोटों से हराया था।  

पार्टी बदलते ही प्रभु, तुलसी की बंपर वोटों से जीत
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए प्रभुराम चौधरी ने अपनी पिछली सभी जीत के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जब वे कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे, तब उन्होंने भाजपा के मुदित शेजवार को महज 10 हजार 239 वोटों से हराया था, लेकिन दो साल बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत के अपने ही पिछले सभी रिकॉर्ड तोडते हुए जीत का अंतर 63 हजार 809 कर दिया। प्रदेश की उनकी जीत का अंदर दूसरे नंबर पर है।

उपचुनाव में सांवेर से तुलसी सिलावट ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रेम चंद गुड्डू को 53 हजार 264 मतों से हराया था। उनकी जीत छठवें नंबर की है।  जबकि वर्ष 2018 के चुनाव में जब वे कांग्रेस के टिकट पर सांवेर से चुनाव लड़े थे तब वे महज 2 हजार 945 वोटों से ही जीत सके थे।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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