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राजनीति

महाराष्ट्र में सियासी उठापठक से, नीतीश को लगा सबसे बड़ा झटका

मुंबई

महाराष्ट्र में शरद पवार को आखिरकार भतीजे अजित पवार और उनके कई करीबी नेताओं ने दगा दे ही दिया। शायद इसीलिए कहते हैं कि मोहल्ले को दुरुस्त करने से पहले अपने घर की किलेबंदी जरूरी होती है। बस शरद पवार यहीं चूक कर गए। वो बिहार के नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे। 23 जून को बैठक में शामिल होकर पवार महाराष्ट्र लौटे। एक हफ्ता पूरा हुआ ही था कि उन्हें अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा। भतीजे अजित पवार और करीबी नेता छगन भुजबल के अलावा कई विधायकों ने शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया। यही नहीं 9 नेताओं को मंत्री भी बना दिया गया। अजित पवार को देवेंद्र फड़नवीस की बगल वाली कुर्सी यानि डेप्युटी सीएम का पद मिल गया। लेकिन असल खबर तो बाकी है।

विपक्षी एकता पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक!
नीतीश कुमार ने 9 अगस्त को बिहार में BJP को बड़ा झटका दिया। इसके बाद उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुहिम ही छेड़ दी। विपक्षी एकता को लेकर नीतीश देश भर में घूमे, कई नेताओं से मुलाकात की। आखिर में असंभव को संभव कर भी दिखाया। ममता, शरद, राहुल गांधी समेत कई नेताओं को एक छत के नीचे ले आए। सबने करीब-करीब कसम खाई कि इस बार बीजेपी की केंद्रीय सत्ता को हिलाकर छोड़ेंगे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि बीजेपी की तरफ से भी बड़ी तैयारी है। यूं कहिए कि बीजेपी ने रविवार 2 जुलाई का दिन चुना और नीतीश की विपक्षी एकता पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक कर दी।

नुकसान शरद का और झटका नीतीश को
इस बात को आप जाहिर तौर पर तय मान लीजिए कि महाराष्ट्र में भले की नुकसान शरद पवार का हुआ है। लेकिन झटका नीतीश कुमार को लगा है। उन्हें पूरा भरोसा था कि सभी पार्टियां एक छत के नीचे आई हैं तो बेंगलुरू की अगली विपक्षी एकता वाली बैठक में बात बन जाएगी। लेकिन विपक्षी एकता पर इस पहली सर्जिकल स्ट्राइक ने नीतीश को जो नुकसान पहुंचाया है, वो सिर्फ वही जान सकते हैं। अब शरद पवार के सामने घर संभालने की चुनौती है, वहीं बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपना किला और मजबूत कर लिया है। कहने वाले तो ये भी कह रहे हैं कि नुकसान शरद का हुआ है लेकिन असली झटका बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लगा है।

अब आगे क्या?
अब सवाल ये कि आगे क्या? इतना तो तय हो गया है कि बीजेपी विपक्षी एकता का जवाब इस तरह के सियासी हमले से देने का मन बना चुकी है। चर्चा है कि बीजेपी महाराष्ट्र की तर्ज पर ही बिहार में JDU के उन बागियों की तलाश में है, जो अभी चुप हैं या जिनके मन को कोई टटोल नहीं पाया है। वैसे भी राजस्थान में कांग्रेस एक अघोषित बगावत का सामना करती ही चली आ रही है। ऐसे में क्या बीजेपी की तरफ से कोई और पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक होगी, इसका डर तो विपक्ष में पसर ही गया है। खासतौर पर महाराष्ट्र में पवार की NCP में बगावत के बाद। किसी ने क्या खूब कहा है 'इसी होनी को तो किस्मत का लिखा कहते हैं, जीतने का जहां मौका था वहीं मात हुई।'

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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