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राजनीति

प्रदेश चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मिल सकता है विधायकी का टिकट

भोपाल

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनावी मैदान में उतार सकती है. यह दावा सूत्रों ने किया है.  मध्य प्रदेश में तीसरी लिस्ट में भी कुछ और सांसदों के नाम आ सकते है. तीसरी लिस्ट के आने से पहले कुछ और नामों पर चर्चा शुरू हो गई है.

गृह मंत्री अमित शाह एक तारीख़ की दोपहर को भोपाल आ रहे हैं, तब वो इस पर चर्चा करेंगे. तीसरी लिस्ट के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल हो सकता है. दरअसल,  सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया स्वास्थ्य कारणों से शिवपुरी से नहीं लड़ना चाहती इसलिये ज्योतिरादित्य को शिवपुरी से उतारा जा सकता है. इनके अलावा सुधीर गुप्ता, वीरेंद्र कुमार और रोडमल नागर के नाम भी चुनाव लड़ाने के लिये चर्चा में हैं.

बता दें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा तीन मंत्रियों सहित सात सांसदों को उम्मीदवार बनाया गया है. दूसरी लिस्ट में पार्टी ने 4 सांसदों- क्रमशः उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा, राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम, गणेश सिंह को सतना और रीती पाठक को सीधी से उम्मीदवार बनाया है. इनमें से ज्यादातर नेता अपनी लोकसभा सीट पर कई बार से जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

उधर, इंदौर 1 से बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फगन सिंह कुलस्ते को भी टिकट दिया है. तोमर दिमनी से, प्रह्लाद पटेल नरसिंहपुर और कुलस्ते निवास सीट से चुनाव लड़ेंगे.

उधर, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के टिकट देने पर कांग्रेस ने जुबानी हमला बोला है. कांग्रेस नेता और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा- "भाजपा जितने सजावटी उम्मीदवार ला रही है, जनता का आक्रोश उतना ही ज्यादा बढ़ रहा है, कारण स्पष्ट है. जनता मान रही है कि जो मंत्री चुनाव लड़ेंगे, उनका मंत्रालय जो पहले से ही सुप्त है अब और भी निष्क्रिय हो जायेगा, तो फिर जनता के रुके हुए काम कैसे होंगे. इस वजह से आक्रोश बढ़ रहा है."

उन्होंने आगे कहा, "जो सत्ताधारी सासंद चुनाव लड़ेंगे, उनका संसदीय क्षेत्र उपेक्षित होगा, जिसका खामियाजा जनता ही भुगतेगी. इस वजह से आक्रोश बढ रहा है. ये तथाकथित बड़े लोग पार्टी के दबाव में बेमन से लड़ेंगे और हारेंगे तो जनता के खिलाफ हो जाएंगे, जिसके कारण जनता उनकी उपेक्षा और उनके उत्पीड़न का शिकार होगी. इस वजह से आक्रोश बढ़ रहा है."

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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