RO.NO.12945/141
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

पति-पत्नी के झगड़े के बीच अदालत को बच्चे का नामकरण करना पड़ा: क्या था मामला

 कोच्चि

न्याय की रक्षा करने वाली अदालत माता-पिता की भूमिका निभा रहे हैं। इसका ताजा सबूत केरल हाईकोर्ट से मिला है, जहां पति-पत्नी के झगड़े के बीच अदालत को बच्चे का नामकरण करना पड़ा। कोर्ट का कहना है कि बच्चे के कल्याण के लिए नाम होना बेहद जरूरी है। खास बात है कि बच्चे का नाम रखने की प्रक्रिया में कोर्ट ने माता-पिता की सिफारिश को भी माना है।

मामला केरल का है। यहां पति-पत्नी के बीच बच्चे का नाम रखने को लेकर विवाद हो गया था। मामला ने तब तूल पकड़ा, जब बच्चा शिक्षा हासिल करने के लिए तैयार हुआ और स्कूल ने बगैर नाम का जन्म प्रमाण पत्र स्वीकार करने से मना कर दिया था। अब इसे लेकर पत्नी ने एक नाम सुझाया और बच्चे के पिता की तरफ से भी सुझाव आया। नतीजा यह हुआ कि दोनों में विवाद हो गया और कोर्ट को दखल देना पड़ा।

कोर्ट में क्या हुआ
केरल हाईकोर्ट का कहना था कि पैरेंट्स के बीच जारी विवाद को सुलझाने में समय लगेगा और यह बच्चे के लिए ठीक नहीं है। बच्चे के नाम करण के लिए कोर्ट ने पैरेंस पैट्रिया अधिकार का इस्तेमाल किया। अदालत ने कहा, 'इस अधिकार का इस्तेमाल करते समय माता-पिता के अधिकार के बजाए बच्चे के कल्याण को सबसे ऊपर रखा जाता है।' बेंच ने कहा, 'कोर्ट को बच्चे के नाम का चुनाव करना ही होगा। नाम का चुनाव करते समय बच्चे का कल्याण, सांस्कृतिक विचार, माता-पिता के हित जैसी चीजों का ध्यान रखना होगा। इसका सबसे बड़ा मकसद बच्चे का कल्याण है। ऐसे में कोर्ट पैरेंस पैट्रिया ज्यूरिडिक्शन का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर है।'

माता-पिता के अलग सुझाव
मां बच्चे का नाम 'पुण्य नायर' रखना चाह रही थी। इसके लिए उन्होंने रजिस्ट्रार का भी रुख किया, लेकिन रजिस्ट्रार ने माता-पिता दोनों की मौजूदगी की मांग की। अब अलग हो चुके माता-पिता इस मुद्दे पर एक राय नहीं बना सके। यहां पिता की इच्छा थी कि बच्चे का नाम 'पद्म नायर' रखा जाए। यहां कोर्ट ने कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बच्चे का नाम 'पुण्य बालगंगाधरन नायर' या 'पुण्य बी. नायर' रखने का फैसला किया।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.12879/162

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button