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अरुण-तीन पनबिजली परियोजना से संबंधित मुद्दों को हल करेगी नेपाल सरकार

काठमांडू
नेपाल सरकार देश की सबसे बड़ी 900 मेगावाट की अरुण-तीन पनबिजली परियोजना के प्रवेश मार्ग से संबंधित मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की अध्यक्षता में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया कि इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए संबंधित मुद्दों का जल्द से जल्द हल जरूरी है। इस परियोजना का निर्माण एक भारतीय कंपनी कर रही है।

यह भारत की सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी एसजेवीएन अरुण-तीन पावर डेवलपमेंट कंपनी (एसएपीडीसी) द्वारा अरुण नदी पर बनाई जाने वाली पनबिजली परियोजना है। एसजेवीएन भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उद्यम है। संखुवासभा जिले में अरुण-तीन पनबिजली संयंत्र हिमालयी देश की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना होगी। इसका व्यावसायिक परिचालन शुरू होने के बाद शुरुआती 25 वर्षों के दौरान नेपाल को बिजली संयंत्र में उत्पादित बिजली का 21.9 प्रतिशत मुफ्त मिलेगा। इसके बाद यह संयंत्र नेपाल सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

निवेश बोर्ड नेपाल (आईबीएन) जो नेपाल में सार्वजनिक-निजी भागीदारी और निजी निवेश, विशेष रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सुविधा प्रदान करता है, ने अपनी 56वीं बैठक में अरुण-तीन पनबिजली परियोजना के प्रवेश मार्ग से संबंधित मुद्दे को मंत्रिपरिषद की बैठक में उठाने का निर्णय किया है। इस परियोजना पर 144 अरब रुपये की लागत आएगी। बैठक के दौरान आईबीएन के मुख्य कार्यकारी सुशील भट्टा ने बोर्ड की गतिविधियों की जानकारी दी। 'प्रचंड' ने बैठक में कहा कि अरुण-तीन परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परियोजना में किसी प्रकार की देरी से देश में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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