प्रियंका गांधी 28 अक्टूबर को बुंदेलखंड में चुनावी हुंकार भरेंगी
छतरपुर
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को अब ज्यादा वक्त नही बचा है। चुनाव से पहले पार्टियां जनता के बीच अपना माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसी कड़ी में 5 महीने में पांचवीं बार कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी एक बार फिर मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रही है। 28 अक्टूबर को प्रियंका गांधी छतरपुर आएंगी, यहां वे जनसभा को संबोधित करेगी।
ग्वालियर चंबल, मालवा निमाड़, महाकौशल के बाद अब बुंदेलखंड पर कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी का फोकस है। इसी बीच वे 28 अक्टूबर को छतरपुर आने वाली है। मध्य प्रदेश में 5 महीने अंदर प्रियंका गांधी का यह पांचवां दौरा है। प्रियंका बुंदेलखंड में बड़ी जनसभा को संबोधित करेगी।
बतादें कि, प्रियंका गांधी ने 12 जून को सबसे पहले जबलपुर में रैली कर चुनाव अभियान का आगाज किया था। इसके अलावा 21 जुलाई को ग्वालियर, 5 अक्टूबर को मोहनखेड़ा और 12 अक्टूबर को मंडला में वे सभा कर चुकी हैं। वहीं प्रियंका के भाई और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 10 अक्टूबर को शहडोल के ब्यौहारी में सभा को संबोधित किया था।
प्रियंका गांधी कर चुकी हैं चुनाव अभियान का आगाज
वैसे, प्रियंका सबसे पहले 12 जून को जबलपुर में रैली करके चुनाव अभियान का आगाज कर चुकी हैं. इसके अलावा 21 जुलाई को ग्वालियर, 5 अक्टूबर को मोहनखेड़ा और 12 अक्टूबर को मंडला में प्रियंका गांधी की सभा हो चुकी हैं. प्रियंका के भाई और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 10 अक्टूबर को शहडोल के ब्यौहारी में सभा को संबोधित कर चुके हैं.अब प्रियंका गांधी 28 अक्टूबर को छतरपुर में हुंकार भरेंगी. दरअसल,कांग्रेस प्रियंका गांधी की इस रैली के बहाने मुख्य रूप से दलितों लिए आरक्षित 35 सीटों सहित उनके प्रभाव वाली 54 सीटों तक अपनी पहुंच बनाना चाहती है
ऐसा प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र जिसकी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लिए युद्ध का मैदान बनता जा रहा है. दरअसल,12 अगस्त को सागर में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास के मंदिर और स्मारक की आधारशिला रखने के बाद अगले माह यानी 14 सितंबर को पीएम मोदी (PM Modi) एक बार फिर इसी जिले की बीना रिफायनरी के विस्तार से जुड़े कार्यक्रम में शिरकत करने आये थे.
वैसे, 22 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge)भी सागर में एक पब्लिक मीटिंग कर चुके हैं. इस दौरान उन्होंने बुंदेलखंड के दलित बहुल वोटरों को साधने के लिए जातिगत जनगणना का चुनावी दांव भी चला था. वहीं,12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सागर में पब्लिक मीटिंग करने के साथ 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर और स्मारक का भूमि पूजन किया था.
बीजेपी ने 6 में से 5 सीटों पर मारी थी बाजी
अब जानते है कि बीजेपी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दलित वोटरों को साधने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर क्यों लगा रहा है? राज्य के एक दलित नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (दलित) की कुल आबादी में से 68 प्रतिशत संत रविदास की जाति (चमड़े के कारोबार से जुड़ी) से हैं. इसमें खासकर सतनामी, अहिरवार, जाटव, चौधरी जाति आती है.साल 2011 की जनगणना के मुताबिक एमपी में दलितों की आबादी 1.13 करोड़ से ज्यादा थी.इसी वजह से इस चुनाव में दलित राजनीति संत रविदास के आसपास घूम रही है.
बताते चले कि साल 2018 में बुंदेलखंड की छह एससी आरक्षित सीटों में से बीजेपी ने पांच सीटें जीत ली थी. बीना, नरयावली, जतारा, चंदला और हट्टा सीट बीजेपी के खाते में गई थी.जबकि कांग्रेस ने पिछली बार केवल गुन्नौर सीट जीती थी. इसी तरह साल 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बुंदेलखंड के छह जिलों सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह और पन्ना में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था. दलितों की अच्छी संख्या वाली बुंदेलखंड की 26 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 9 सीट पर संतोष करना पड़ा था. एक सीट समाजवादी पार्टी और एक बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी.
गौरतलब है कि पिछली बार मध्य प्रदेश में दलितों के लिए आरक्षित 35 सीटों में से बीजेपी ने 18 और कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं. 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने 2013 की तुलना में 13 सीटें (एससी आरक्षित) अधिक जीती थी. बीजेपी को 10 सीटों के नुकसान के कारण मध्य प्रदेश में 15 महीने के लिए विपक्ष में बैठना पड़ा था.